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क्राइम

UP:जमीन हड़पने की साजिश: BJP नेता ने खुद पर करवाई फायरिंग, पुलिस जांच में सनसनीखेज खुलासा

उत्तर प्रदेश के संभल जिले में राजनीति का खेल एक बार फिर सामने आया है, जहां सत्ता और पैसे के लालच में नैतिकता को ताक पर रख दिया गया। इस बार BJP के SC मोर्चा के नगर अध्यक्ष प्रेमपाल ने अपनी ही कहानी को एक खौफनाक मोड़ पर पहुंचाया। प्रेमपाल पर हुई कथित फायरिंग का सच जब सामने आया, तो पूरा जिला हिल गया। यह कोई साधारण हमला नहीं था, बल्कि 11 बीघा जमीन हड़पने के लिए रचा गया एक बेहद शातिर षड़यंत्र था।

नेता का षड्यंत्र: खुद को बना दिया ‘शिकार’

प्रेमपाल ने अपनी छवि को बचाने और जमीन हथियाने के लिए जो चाल चली, वह किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं थी। उसने अपने ही पड़ोसियों दिलीप, हेमंत और श्यामलाल को बेवजह इस मामले में फंसाने के लिए खुद पर फायरिंग का नाटक रचा। सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि प्रेमपाल ने कोई मामूली चोट नहीं लगवाई, बल्कि कम्पाउंडर आमिर अली और शराफत से अपनी कमर में चीरा लगवाया और उसमें असली गोली ट्रांसप्लांट करवा ली!

यह साजिश सिर्फ इसलिए रची गई, ताकि प्रेमपाल 11 बीघा जमीन को अपने पड़ोसियों से सस्ते दामों पर हासिल कर सके। पड़ोसियों को जेल भेज कर उन पर दबाव बनाने की चाल थी, ताकि वे जमीन के बदले अपनी रिहाई की सौदेबाजी करने को मजबूर हो जाएं। मामला इतना तगड़ा रचा गया था कि पहली नजर में पुलिस भी भ्रमित हो गई और झूठे आरोपों में निर्दोष लोगों को गिरफ्तार कर लिया।

डिप्टी CM का हस्तक्षेप: साजिश का पर्दाफाश

पुलिस की प्रारंभिक जांच में प्रेमपाल की कहानी को सही मानते हुए पड़ोसी दिलीप, हेमंत, और श्यामलाल को जेल भेज दिया गया। यह खेल तब तक चलता रहा जब तक पीड़ित परिवार ने हिम्मत नहीं दिखाई और राज्य के डिप्टी मुख्यमंत्री से न्याय की गुहार लगाई। उनके हस्तक्षेप पर पुलिस को मजबूरन मामले की दोबारा जांच करनी पड़ी, और यहीं से खुला प्रेमपाल का सारा खेल।

पुलिस जांच में ये खुलासा हुआ कि प्रेमपाल ने न सिर्फ झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई थी, बल्कि पड़ोसियों को फंसाने के लिए इस पूरे हमले की स्क्रिप्ट पहले से ही तैयार की थी। उसने अपने कथित घाव को प्रमाणित करने के लिए गोली ट्रांसप्लांट तक करवा ली, ताकि किसी को उस पर शक न हो।

नेता सहित चार गिरफ्तार, निर्दोषों को मिली राहत

जैसे ही जांच की सच्चाई सामने आई, पुलिस ने बिना समय गंवाए प्रेमपाल, दोनों कम्पाउंडरों आमिर अली और शराफत सहित चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। यह खबर पूरे इलाके में आग की तरह फैल गई और जनता के बीच हड़कंप मच गया। जिस तरह से एक राजनीतिक नेता ने अपनी ही सत्ता का दुरुपयोग कर निर्दोष लोगों को फंसाने की साजिश रची, वह न सिर्फ शर्मनाक है, बल्कि इस बात का भी उदाहरण है कि किस तरह सत्ता और ताकत का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है।

वहीं, निर्दोष पड़ोसियों की रिहाई का रास्ता अब साफ हो गया है। उनके परिवार वालों ने राहत की सांस ली है, लेकिन इस घटना ने एक गहरे सवाल को जन्म दिया है—क्या सत्ता में बैठे लोग कानून से ऊपर हैं? क्या आम जनता की जिंदगी नेताओं के हाथों की कठपुतली बन चुकी है?

सवालों के घेरे में भाजपा और पुलिस प्रशासन

इस घटना के बाद से पूरे जिले में भाजपा के स्थानीय नेतृत्व और पुलिस प्रशासन पर सवाल खड़े हो रहे हैं। क्या पुलिस पहले ही जांच में इतनी लापरवाह थी, या फिर यह राजनीतिक दबाव का नतीजा था? प्रेमपाल के इस साजिश का पर्दाफाश होने के बाद अब भाजपा के अन्य नेताओं की भी नैतिक जिम्मेदारी पर सवाल उठ रहे हैं। क्या पार्टी इस तरह के नेताओं को संरक्षण देती है, या यह सिर्फ एक अपवाद है?

न्याय की उम्मीद: लेकिन कितनी दूर?

इस सनसनीखेज मामले ने एक बार फिर दिखा दिया है कि उत्तर प्रदेश में राजनीति और सत्ता के खेल में किस तरह से आम आदमी पिसता है। प्रेमपाल जैसे नेता, जो अपने निजी लाभ के लिए निर्दोष लोगों को फंसाने और उनकी जिंदगियों को बर्बाद करने से भी नहीं चूकते, क्या उन पर सख्त कार्रवाई होगी?

अब सबकी नजरें इस बात पर हैं कि आगे चलकर इस मामले में क्या सजा मिलती है और क्या भाजपा अपने इस नेता पर कोई कठोर कार्रवाई करती है, या फिर यह मामला भी समय के साथ ठंडा पड़ जाएगा। जनता को न्याय की उम्मीद है, लेकिन सवाल यह है कि वह न्याय कब और कैसे मिलेगा?

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