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अरविन्द केजरीवाल की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला शुक्रवार को, 145 दिन की कैद के बाद हो सकती है रिहाई
नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को अपना फैसला सुनाने जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने 5 सितंबर को केजरीवाल की जमानत याचिका और गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। यह फैसला बेहद अहम माना जा रहा है, क्योंकि अगर केजरीवाल को जमानत मिल जाती है, तो वे 145 दिन की कैद के बाद जेल से रिहा हो सकते हैं।
दिल्ली शराब नीति मामला और गिरफ्तारी का कारण
अरविंद केजरीवाल को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने 26 जून को दिल्ली की विवादास्पद शराब नीति मामले में गिरफ्तार किया था। यह मामला उस वक्त सुर्खियों में आया जब दिल्ली सरकार की नई शराब नीति के तहत आबकारी विभाग के अधिकारियों पर शराब लाइसेंस देने में अनियमितताओं का आरोप लगा। आरोपों के मुताबिक, इस नीति के तहत लाइसेंसधारियों को अनैतिक तरीके से लाभ पहुंचाने की कोशिश की गई थी, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ।
सीबीआई ने दावा किया कि इस मामले में मुख्यमंत्री केजरीवाल की भूमिका संदिग्ध है, और उनके खिलाफ पुख्ता सबूत हैं। इसी आधार पर उनकी गिरफ्तारी हुई, जिसके बाद उन्हें तिहाड़ जेल भेज दिया गया। हालांकि, केजरीवाल और आम आदमी पार्टी (AAP) का दावा है कि यह गिरफ्तारी एक राजनीतिक साजिश का हिस्सा है, और केंद्र सरकार विपक्षी नेताओं को निशाना बना रही है।
जमानत याचिका: केजरीवाल का पक्ष
अरविंद केजरीवाल के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि केजरीवाल के खिलाफ लगाए गए आरोप पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित हैं और उन पर लगाए गए आरोप निराधार हैं। उन्होंने कोर्ट से यह आग्रह किया कि CBI के पास इतने दिनों तक हिरासत में रखने के बावजूद भी कोई ठोस सबूत नहीं है जो ये साबित कर सके कि केजरीवाल ने शराब नीति में कोई भ्रष्टाचार किया है।
वकील का यह भी कहना था कि दिल्ली सरकार की शराब नीति को विधानसभा द्वारा पास किया गया था और यह नीति पूरी तरह से कानूनी थी। अगर कोई गड़बड़ी हुई भी है, तो यह अधिकारियों की ओर से हुई है, और मुख्यमंत्री के स्तर पर कोई अनियमितता नहीं हुई।
वहीं, केजरीवाल ने इस पूरे मामले को राजनीतिक प्रतिशोध करार देते हुए कहा कि केंद्र की सरकार उन पर दबाव बना रही है ताकि वे दिल्ली में आम आदमी पार्टी के बढ़ते प्रभाव को रोक सकें।
CBI का पक्ष: केजरीवाल पर लगे गंभीर आरोप
दूसरी ओर, CBI ने अदालत में कहा कि अरविंद केजरीवाल की भूमिका इस घोटाले में केंद्रित है और उनके पास सबूत हैं कि शराब नीति में अनियमितता के पीछे उनका हाथ है। सीबीआई के अनुसार, यह नीति दिल्ली के शराब व्यवसाय में कुछ खास कंपनियों को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से तैयार की गई थी, और इसके लिए बड़े पैमाने पर रिश्वत दी गई थी।
सीबीआई का दावा है कि उन्होंने केजरीवाल और उनकी सरकार से जुड़े कई अधिकारियों और कारोबारियों के बीच हुई बातचीत के रिकॉर्ड पेश किए हैं, जो ये दर्शाते हैं कि केजरीवाल सीधे तौर पर इस घोटाले में शामिल थे। सीबीआई का कहना है कि अगर केजरीवाल को जमानत दी जाती है, तो इस मामले की निष्पक्ष जांच में बाधा आ सकती है और सबूतों के साथ छेड़छाड़ का खतरा है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला: राजनीतिक और कानूनी असर
सुप्रीम कोर्ट का शुक्रवार को आने वाला फैसला न केवल अरविंद केजरीवाल के राजनीतिक करियर के लिए अहम होगा, बल्कि इससे दिल्ली की राजनीति में भी बड़ा असर देखने को मिल सकता है। अगर सुप्रीम कोर्ट केजरीवाल को जमानत दे देता है, तो यह AAP के लिए बड़ी राहत होगी और केजरीवाल की छवि को भी काफी हद तक साफ कर सकती है। दूसरी तरफ, अगर कोर्ट जमानत याचिका खारिज कर देता है, तो केजरीवाल की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।
दिल्ली में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और इस फैसले का चुनावी राजनीति पर भी गहरा प्रभाव पड़ सकता है। आम आदमी पार्टी इस समय दिल्ली की राजनीति में मजबूत स्थिति में है, लेकिन मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति में पार्टी की साख को नुकसान हो सकता है। दूसरी तरफ, केंद्र सरकार और विपक्षी दल इस पूरे मामले को लेकर लगातार केजरीवाल और उनकी पार्टी पर निशाना साध रहे हैं।
अब सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी हुई हैं। क्या अरविंद केजरीवाल 145 दिनों की जेल की सजा के बाद रिहा होंगे या उन्हें और दिनों तक जेल में रहना पड़ेगा, इसका फैसला शुक्रवार को होगा।