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आखिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से क्यों पिछड़ जाते हैं राहुल गांधी?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी की टक्कर के बीच अधिकांश बार राहुल गांधी को हार मिली है। एक समय पूरे नॉर्थ ईस्ट में कांग्रेस की सरकार हुआ करती थी। लेकिन फिलहाल लगभग पूरे नॉर्थ ईस्ट से कांग्रेस गायब हो चुकी है।
आखिर वे कौन से कारण है जिसके कारण राहुल गांधी लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पिछड़ रहे हैं। मेरी बातें कुछ हवा हवाई नेताओं को बुरी लग सकती है।
- जिम्मेवार कार्यकर्ताओं का अभाव।
आज देश के 80% राज्यों में कांग्रेश के पास भाजपा की तुलना में बहुत ही - कम कार्यकर्ता है। आप जमीनी स्तर पर जाएं तो 10 गांव में मुश्किल से 20 25 कांग्रेस के कार्यकर्ता मिल पाएंगे। गांव की तुलना में शहरों की स्थिति अच्छी है।
जबकि हकीकत यह है कि मोदी सरकार से कहीं ज्यादा कांग्रेस की सरकार ने ग्रामीण जनता के लिए काम किया है। लेकिन कार्यकर्ता नहीं होने के कारण वे अपने कामों को लोगों के बीच नहीं ले जा पाए।
कांग्रेस के अधिकांश नेता और कार्यकर्ता हवा- हवाई हैं। चुनाव नजदीक आने पर मालूम चलता है कि यह कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता है। बाकी समय में यह कार्यकर्ता और नेता खोजने पर भी दिखाई नहीं देते।
कांग्रेश को ग्रामीण स्तर पर नए सिरे से अपने संगठन को मजबूत करना होगा।
- कांग्रेस पार्टी में मजबूत नेताओं का अभाव।
अगर आप मौजूदा परिदृश्य देखें तो, आपको यह महसूस होगा कि पार्टी पूरी तरह से राहुल गांधी और प्रियंका गांधी पर निर्भर है। कुछ राज्य स्तरीय नेताओं ने लोगों के बीच अच्छा काम किया है। लेकिन आप कोई ऐसा केंद्रीय नेता नहीं देख पाएंगे जो कांग्रेस को मजबूत करने का काम कर रहा हो।
लगभग सभी केंद्रीय नेता छुपकर बैठे हुए हैं। अभी कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को छोड़कर कोई भी ऐसा नेता नहीं है, जो लोगों को आकर्षित कर सके। यहां भी बड़े बदलाव की जरूरत है।
पब्लीसिटी कैंपेन।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पब्लिसिटी कैंपेन राहुल गांधी की तुलना में बहुत ही मजबूत है। इसका सबसे बड़ा कारण, मुख्यधारा के मीडिया का झुकाव उनकी तरफ होना है।
दूरदर्शिता के मामले में राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से काफी आगे हैं। उनकी द्वारा दिए गए सुझाव को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा देर सवेर लागू किया गया है। लेकिन राहुल गांधी की पब्लिसिटी सोशल मीडिया के एक कोने तक ही सीमित होकर रह जाती है।
जमीनी स्तर पर उसका कोई असर नहीं होता। देश के प्रधानमंत्री पद के लिए कांग्रेस कार्यकर्ताओं से पूछा जाए तो उनमें से 50% राहुल गांधी का नाम लेने से कतराने लगते हैं। जबकि उन्हें गर्व के साथ यह बोलना चाहिए कि राहुल गांधी हमारे प्रधानमंत्री के कैंडिडेट हैं।
कांग्रेश को पब्लिसिटी कैंपेन और कार्यकर्ताओं में विश्वास जगाने की खासी जरूरत है।
चुनावी जरूरत।
कार्यकर्ताओं की चुनावी जरूरत को पूरा करने में भाजपा कांग्रेस से बहुत आगे है। कांग्रेस के कार्यकर्ता जहां असहाय हो जाते हैं, वही भाजपा कार्यकर्ता पूरे जोशो खरोश से चुनावी मैदान में उतरते हैं।
भाजपा कार्यकर्ताओं के पास चुनाव से संबंधित सभी सजो सामान उपलब्ध है, वहीं कांग्रेसी खाली हाथ कहीं-कहीं कैंपेन करते दिखाई देते हैं।
- C M Jain