Connect with us

उत्तराखंड दर्शन

गंगा दशहरा पर्व पर श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब, लगाई आस्था की डुबकी

हरिद्वार। मां गंगा के विभिन्न घाटों पर आज गंगा दशहरा के पावन पर्व पर लाखों की संख्या में श्रद्धालुओ ने श्रृद्धा की डुबकी लगाई। हरकी पैड़ी व अन्य घाटों पर सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने लगी थी। श्रद्धालुओं ने हर हर गंगे के जयकारों के साथ आस्था की डुबकी लगाई। 

गंगा दशहरे के पर्व स्नान पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। तड़के चार बजे से ही दिल्ली, यूपी और हरियाणा समेत देशभर से आए श्रद्धालुओं की गंगा स्नान के लिए घाटों पर भीड़ जुटने लगी। गंगा दशहरा पर गंगा में स्नान करने का सबसे अधिक महत्व होता है। मां गंगा के अवतरण के दिन हरिद्वार में स्नान करने से 10 प्रकार के पाप समाप्त हो जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं। गंगा में स्नान एवं दान करने से प्राणी के सब दुःख दूर हो जाते हैं। गंगा दशहरा तन के साथ-साथ मन की शुद्धि का पर्व भी हैं। इस अवसर पर व्यवस्था सुचारू बनाए रखने के लिये जगह-जगह पुलिस बल तैनात रहा।

 गंगा दशहरा के पावन पर्व पर डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने बताया की हर साल ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मां गंगा की पूजा-अर्चना की जाती है। इस तिथि को गंगा दशहरा को गंगावतरण भी कहा जाता है। इसी दिन मां गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था। भागीरथ अपने पूर्वजों की आत्मा का उद्धार करने के लिए गंगा को पृथ्वी पर लेकर आए थे। इसी कारण गंगा को भागीरथी भी कहा जाता है। हिंदू धर्म में गंगा को मां का दर्जा दिया गया है। मां गंगा शुद्ध, विद्यास्वरूपा, इच्छाज्ञान एवं क्रियारूप, दैहिक, दैविक तथा भौतिक तापों को शमन करने वाली, धर्म, अर्थ,काम एवं मोक्ष चारों पुरूषार्थों को देने वाली शक्ति स्वरूपा हैं।

निष्कपट भाव से गंगाजी के दर्शन मात्र से जीवों को कष्टों से मुक्ति मिलती है और वहीं गंगाजल के स्पर्श से स्वर्ग की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार पाठ,यज्ञ,मंत्र,होम और देवार्चन आदि समस्त शुभ कर्मों से भी जीव को वह गति नहीं मिलती,जो गंगाजल के सेवन से प्राप्त होती है। गंगा पूजन एवं स्नान से रिद्धि-सिद्धि,यश-सम्मान की प्राप्ति होती है तथा समस्त पापों का क्षय होता है। मान्यता है कि गंगा पूजन से मांगलिक दोष से ग्रसित जातकों को विशेष लाभ प्राप्त होता है एवं गंगा स्नान करने से अशुभ ग्रहों का प्रभाव समाप्त होता है। विधिविधान से गंगा पूजन करना अमोघ फलदायक होता है।

अमावस्या दिन गंगा स्नान और पितरों के निमित तर्पण व पिंडदान करने से जीवन के कष्ट दूर होते हैं। मत्स्य,गरुड़ और पद्म पुराण के अनुसार हरिद्वार,प्रयाग और गंगा के समुद्र संगम में स्नान करने से मनुष्य मरने के बाद स्वर्ग पहुंच जाता है और फिर कभी पैदा नहीं होता यानी उसे निर्वाण की प्राप्ति हो जाती है। गंगाजल बहुत ही पवित्र और पूजनीय माना जाता है। किसी भी शुभ कार्य और पूजा अनुष्ठान में गंगाजल का प्रयोग जरूर किया जाता है।

गंगा भवतारिणी हैं, इसलिए हिंदू धर्म में गंगा दशहरा का विशेष महत्व माना जाता है। इसलिए इस दिन गंगा घाट पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिलती है। इस दिन गंगा के घाट पर भव्य गंगा आरती भी होती है। उन्होंने बताया की सृष्टि के निर्माता ब्रह्मा जी के कमंडल से राजा भागीरथ द्वारा देवी गंगा को धरती पर अवतार दिवस को गंगा दशहरा के नाम से जाना जाता है। पृथ्वी पर अवतार से पहले गंगा नदी स्वर्ग का हिस्सा थीं। गंगा दशहरा के दिन भक्त देवी गंगा की पूजा करते हैं और गंगा में डुबकी लगाते हैं और दान-पुण्य,उपवास,भजन और गंगा आरती का आयोजन करते हैं। मान्यता है इस दिन मां गंगा की पूजा करने से भगवान विष्णु की अनंत कृपा प्राप्त होगी।

More in उत्तराखंड दर्शन

Trending News

संपादक –

नाम: खुशाल सिंह रावत
पता: भवानीगंज, रामनगर (नैनीताल)
दूरभाष: 9837111711
ईमेल: [email protected]

You cannot copy content of this page