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डिजिटल डकैती की बाढ़: मोदी सरकार ‘लापता’, लूटे जाने को अभिशप्त समाज
मेरठ।
डिजिटल इंडिया के सपने को हकीकत में बदलने का दावा करने वाली सरकार के दौर में ठगी का ऐसा भयावह रूप सामने आया है, जो समाज को लूटे जाने के लिए अभिशप्त कर रहा है। डिजिटल डकैती के इस मामले ने न केवल एक बुजुर्ग सेना के रिटायर्ड अधिकारी को ठगा, बल्कि देश की कानून व्यवस्था और साइबर सुरक्षा पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं।
सेना के रिटायर्ड अधिकारी बने ठगी का शिकार
मेरठ के 78 वर्षीय जैन साहब, जो सेना से रिटायर होने के बाद शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत कर रहे थे, एक दिन अचानक ठगों के जाल में फंस गए। उनके मोबाइल पर एक कॉल आया, जिसमें खुद को क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताने वाले ने एक भयानक कहानी सुनाई।
उसने दावा किया कि अंतरराष्ट्रीय मानव अंग तस्करी गिरोह ने 17 बच्चों को अगवा कर उनकी हत्या कर दी। बच्चों के अंग करोड़ों में बेचे गए और फिरौती की रकम का खाता जैन साहब के नाम पर दर्ज मिला। यह सुनते ही जैन साहब घबरा गए।
डर के साए में 4 दिन
कॉल करने वाले ने जैन साहब को इतना डरा दिया कि वे किसी से बात करने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। ठग ने कहा कि वीडियो कॉल पर उनसे पूछताछ की जाएगी और यदि किसी को बताया, तो वह केस में फंस जाएगा।
चार दिन तक जैन साहब उस ठग के सवालों का जवाब देते रहे, और अंत में ठग ने 15 लाख रुपये की मांग कर दी। अपने नाम को “कानूनी झंझटों” से बचाने के लिए, जैन साहब ने अपनी जीवनभर की बचत ठग के खाते में ट्रांसफर कर दी।
ठगी का खुलासा और FIR
ठग ने झूठा दावा किया कि केस सुलझा लिया गया है और अपराधी पकड़े गए हैं। लेकिन जब जैन साहब ने यह बात अपने बेटे को बताई, तो बेटे ने तुरंत समझ लिया कि यह एक बड़ी ठगी का मामला है।
अब इस घटना के बाद FIR दर्ज करवाई गई है, लेकिन सवाल यह है कि क्या इस तरह की घटनाएं रुकेंगी?
डिजिटल ठगी के बढ़ते मामले और सरकार की निष्क्रियता
यह मामला देशभर में बढ़ती डिजिटल ठगी की घटनाओं का एक उदाहरण भर है। आए दिन लाखों लोग ऐसे फर्जीवाड़ों का शिकार हो रहे हैं। सवाल उठता है कि डिजिटल सुरक्षा और साइबर अपराध नियंत्रण के दावे करने वाली सरकार और एजेंसियां आखिर क्यों नाकाम साबित हो रही हैं?
ठगी के इन मामलों में बुजुर्ग सबसे अधिक शिकार हो रहे हैं।
ठगों के गिरोह खुलेआम साइबर क्राइम कर रहे हैं और पुलिस व एजेंसियां इन्हें रोकने में नाकाम हैं।
क्या “डिजिटल इंडिया” के सपने को साकार करना केवल एक दिखावा है?
सरकार की जिम्मेदारी कहां?
जैन साहब जैसे देश के लाखों नागरिकों की मेहनत की कमाई को बचाने की जिम्मेदारी किसकी है? मोदी सरकार के बड़े-बड़े वादे और योजनाएं इस डिजिटल ठगी के युग में खोखली साबित हो रही हैं।
साइबर सुरक्षा: सरकार को साइबर सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।
जनजागरूकता: डिजिटल लेन-देन के खतरों से जनता को जागरूक करना बेहद जरूरी है।
ठोस कार्रवाई: ठगी के मामलों में तेजी से कार्रवाई हो और दोषियों को कड़ी सजा दी जाए।
अभिशप्त समाज की तस्वीर
जैन साहब का यह मामला सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि उस अभिशप्त समाज की तस्वीर है, जिसे हर दिन डिजिटल डकैती का डर सताता है। ऐसे में क्या हम एक सुरक्षित और आत्मनिर्भर समाज की कल्पना कर सकते हैं?