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उत्तराखण्ड

“128 पौधे, 30 से ज़्यादा पुलिस वाले और एक ‘खतरनाक’ किसान! अफीम की खेती पर गिरफ़्तारी ने रच दिया रिकॉर्ड”

“ढाई दर्जन पुलिसकर्मियों की ‘सर्जिकल स्ट्राइक’, अफीम के 128 पौधों ने मांगी माफी!”

“128 पौधे, 30 से ज़्यादा पुलिस वाले और एक ‘खतरनाक’ किसान! अफीम की खेती पर गिरफ़्तारी ने रच दिया रिकॉर्ड”

रामनगर:
नैनीताल जिले के रामनगर थाना क्षेत्र में पुलिस ने ऐसा ‘अभियान’ चलाया कि सुनकर माफिया भी शरमा जाएं। 128 अफीम के पौधों की खेती कर रहे एक 55 वर्षीय ‘खतरनाक’ किसान को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस ने ऐसा मोर्चा संभाला, जैसे कि दाऊद इब्राहिम खुद खेत में बैठा अफीम छाँट रहा हो।

जी हाँ, ग्राम पीपलसाना में रहने वाले जसवंत सिंह नाम के इस ‘भयंकर’ किसान को पकड़ने के लिए पुलिस ने करीब 30 से अधिक जांबाज़ अफसरों और जवानों की टीम गठित की। कौन-कौन नहीं था इस ऐतिहासिक गिरफ्तारी में—एसओजी से लेकर एएनटीएफ, कोतवाली हल्द्वानी से लेकर आईआरबी तक, हर विभाग के सूरमा इस ‘ऑपरेशन अफीम’ में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने पहुंचे।

माना जा रहा है कि अफीम के 128 पौधों को गिनने में ही आधे पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगी थी, जबकि बाकी अफसरों ने खेत के चारों ओर घेरा डालकर जसवंत को पकड़ने का बहादुरी भरा कार्य संपन्न किया। एक सब्ज़ी बेचने वाले के ठेले से अफीम बरामद हो तो समझ में आता है, लेकिन यहां तो पूरा खेत ही अफीम का था—इतना बड़ा मामला आखिर हल्के में कैसे लिया जाता?

सूत्रों की मानें तो गिरफ़्तारी के बाद जसवंत सिंह से पूछताछ की बजाय पुलिसकर्मी फोटोशूट और नाम दर्ज कराने में व्यस्त थे। शायद ये पहली बार हुआ हो जब NDPS एक्ट के तहत इतनी छोटी सी बरामदगी पर इतनी बड़ी टीम मैदान में उतरी हो। प्रेस नोट पढ़कर एक क्षण को तो लगने लगा कि कोई अंतरराष्ट्रीय गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है।

इस तरह के प्रेस नोट यह साबित करते हैं कि पुलिस अब ‘सामूहिक सहभागिता’ के युग में प्रवेश कर चुकी है। एक आरोपी, 128 पौधे और 30+ अधिकारी—इस अनुपात से तो गणित का कोई भी शिक्षक दंग रह जाए।

क्या पुलिस की ये ताक़त वाकई अपराध से लड़ने में झोंकी जा रही है, या फिर केवल नाम दर्ज कराने की होड़ में ताकत का तमाशा बनता जा रहा है?

गिरफ्तारी करने वाले पुलिस वालों के नाम :

निरीक्षक स्तर से:

उ0नि0 मोहन सिंह सौन (प्रभारी ए0एन0टी0एफ0 नैनीताल)

उ0नि0 संजीत राठौर (प्रभारी एस0ओ0जी0)

उ0नि0 जोगा सिंह

उ0नि0 सुरभि राणा

उ0नि0 गौरव जोशी (कोतवाली हल्द्वानी)

उ0नि0 दिनेश जोशी (कोतवाली हल्द्वानी)

मुख्य आरक्षी व आरक्षी स्तर से:

हे0का0 ललित श्रीवास्तव (एस0ओ0जी0)

का0 चन्दन नेगी (एस0ओ0जी0)

का0 संतोष कुमार (एस0ओ0जी0)

का0 राजेन्द्र जोशी (ए0एन0टी0एफ0)

का0 मनमोहन सिंह (ए0एन0टी0एफ0)

हे0का0 अनिल चौधरी

हे0का0 सुरजीत सिंह

हे0का0 बृजमोहन बहुगुणा

का0 महबूब आलम

का0 धर्मेन्द्र सिंह (नं0 210)

का0 सीपी विजेन्द्र गौतम (नं0 132)

का0 संजय सिंह (नं0 836)

आईआरबी से:

का0 हरीश मेहरा

ए0पी0सी0आई0आर0बी0 गोविन्द कुमार

का0 बृजेश कुमार

का0 हरि किशन

का0 पुष्पेन्द्र सिंह

हे0का0 सुरेन्द्र रावत

का0 बलदेव आर्या

का0 मनोज कुमार

का0 योगेन्द्र सिंह

का0 हेतराज सिंह

का0 विपिन कुमार

 

इतनी भारी-भरकम टीम देखकर यही समझ बैठे कि कोई इनामी डकैत या कुख्यात तस्कर पकड़ा गया है।

अब सवाल ये नहीं है कि जसवंत ने अफीम बोई, सवाल ये है कि क्या इस ‘साहसिक’ गिरफ्तारी में वाकई 33 पुलिसवालों की जरूरत थी या फिर ये सब ‘प्रेस नोट’ में नाम चिपकाने की होड़ का कमाल है?

 

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