उत्तराखण्ड
राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष पूरे — राजकीय इंटर कॉलेज ढेला में हुआ विशेष आयोजन
राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष पूरे — राजकीय इंटर कॉलेज ढेला में हुआ विशेष आयोजन
रामनगर। राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम’ की रचना के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर राजकीय इंटर कॉलेज ढेला में गुरुवार को विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। प्रातःकालीन सभा में शिक्षकों और विद्यार्थियों ने इस गीत की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर चर्चा की और राष्ट्रभाव से ओत-प्रोत प्रस्तुतियाँ दीं।
जीवविज्ञान प्रवक्ता चंद्रप्रकाश खाती ने कहा कि ‘वंदे मातरम’ केवल एक गीत नहीं, बल्कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम की आत्मा है। इसने आज़ादी की लड़ाई में नई चेतना का संचार किया और भारतीय साहित्य को एक नई दिशा दी। उन्होंने बताया कि इस अमर गीत की रचना बंकिमचंद्र चटर्जी ने 7 नवंबर 1874 को की थी। बाद में यह गीत उनके प्रसिद्ध उपन्यास ‘आनंदमठ’ (1882) में भी शामिल किया गया, जिसने भारतीय समाज में राष्ट्रीय चेतना को गहराई से जगाया।
अंग्रेज़ी प्रवक्ता नवेंदु मठपाल ने बताया कि वर्ष 1896 में कलकत्ता में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में पहली बार ‘वंदे मातरम’ गाया गया था। इस गीत की धुन रवींद्रनाथ टैगोर ने तैयार की थी। स्वतंत्र भारत में 24 जनवरी 1950 को देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने ‘वंदे मातरम’ को राष्ट्रगीत का दर्जा प्रदान किया।
कार्यक्रम के दौरान विद्यालय की प्रातःकालीन सभा में राष्ट्रगीत का वाद्य यंत्रों के साथ सस्वर वाचन किया गया, जिसने पूरे परिसर को देशभक्ति की भावना से भर दिया।
इस अवसर पर प्रधानाचार्य मनोज जोशी, हरीश कुमार, महेंद्र आर्य, संत सिंह, दिनेश निखुरपा, शैलेन्द्र भट्ट, बालकृष्ण चंद, जया बाफिला, संजीव कुमार, राजेंद्र बिष्ट, हेमलता जोशी और पद्मा सहित समस्त शिक्षक-शिक्षिकाएं उपस्थित रहीं।
‘वंदे मातरम’—भारत माँ की वंदना, जिसने एक गीत के रूप में पूरी पीढ़ी को आज़ादी की जंग के लिए प्रेरित किया।’








