उत्तराखण्ड
हाईकोर्ट की रोक: प्राधिकरण की मनमानी पर लगी लगाम, पुछड़ी के 36 परिवारों को मिली राहत
हाईकोर्ट ने एनडीए की मनमानी पर लगाई लगाम, पुछड़ी गांव में 36 परिवारों को मिला बड़ा राहत आदेश
नैनीताल।
नैनीताल जिला विकास प्राधिकरण की मनमानी और दबंगई पर आखिरकार उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बड़ा ब्रेक लगा दिया। अदालत ने साफ कर दिया कि कानून से ऊपर कोई प्राधिकरण नहीं और बिना सुनवाई, बिना ठोस आधार लोगों को उनके घरों से उजाड़ने की कोशिश बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
दरअसल, प्राधिकरण ने रामनगर के ग्राम पुछड़ी में 36 मकानों को तोड़ने की तैयारी कर ली थी। जिनमें श्रीमती मीना, नीमा परवेज, मोहम्मद रईस सहित कई परिवारों के घर शामिल थे। प्राधिकरण की योजना थी कि 26 अगस्त 2025 को बुलडोज़र चलाकर सब कुछ मलबे में बदल दिया जाए। लेकिन हाईकोर्ट ने इस कार्रवाई पर रोक लगाते हुए लोगों को बड़ी राहत दे दी।
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने अदालत को बताया कि इन लोगों ने 15 साल पहले विधिवत रजिस्ट्री कराकर जमीन खरीदी थी। खतौनी में उनके नाम दर्ज हैं। धारा 143 के तहत भूमि का रूपांतरण भी हो चुका है। बैंक से ऋण लेकर घर बने हैं और लोग 10-15 साल से वहां रह रहे हैं। इसके बावजूद प्राधिकरण ने दीवारों पर गलत नाम से नोटिस चिपकाकर एकतरफा बेदखली आदेश थोप दिया।
यह कार्रवाई न सिर्फ सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस का खुला उल्लंघन है, बल्कि प्राधिकरण की मनमानी का जीता-जागता सबूत भी है।
सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि प्राधिकरण 1987 के जिस रामनगर मास्टर प्लान का हवाला देकर निर्माण को अवैध बता रहा है, वह न तो कभी अधिसूचित हुआ और न ही उस पर शहर की प्लानिंग हुई। यानी हवा-हवाई तर्क देकर आम लोगों की छत गिराने की साजिश रची जा रही थी।
यही नहीं, अदालत को यह भी बताया गया कि 13 नवम्बर 2017 की शासन अधिसूचना के अनुसार ग्राम पुछड़ी उन गांवों की सूची में शामिल है जहां प्राधिकरण से नक्शा पास कराने की बाध्यता पर रोक लगी हुई है। इसके बावजूद प्राधिकरण ने बुलडोज़र की राजनीति खेलनी चाही।
अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद साफ आदेश दिया कि 26 अगस्त को प्रस्तावित ध्वस्तीकरण नहीं होगा। यानी अब एनडीए की दबंगई पर फिलहाल ताला लग गया है।
👉 सवाल अब यह है कि जब जमीन रजिस्ट्रीशुदा है, खतौनी में नाम दर्ज हैं, बैंक ऋण लेकर मकान बने हैं, तो प्राधिकरण किसके दबाव में लोगों को बेघर करने पर आमादा था? क्या यह पूरा खेल ‘बुलडोज़र दिखाकर दबाव बनाने’ का है या फिर इसमें कोई और बड़ा हित छिपा है?







