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उत्तराखण्ड

बेतालघाट गोलीकांड में 6 आरोपी गिरफ्तार, 2वाहन सीज

बेतालघाट ब्लॉक प्रमुख चुनाव: वोटिंग के बीच चली गोलियां, घायल हुआ लोकतंत्र – 6 आरोपी गिरफ्तार, 2 वाहन सीज

उत्तराखंड में पंचायत चुनावों को लेकर सत्ता और गुंडागर्दी का गठजोड़ एक बार फिर बेनकाब हुआ है। बेतालघाट ब्लॉक प्रमुख चुनाव की वोटिंग के दौरान लोकतंत्र को बंदूक की नली पर रखकर सरेआम धमकाया गया। यह कोई मामूली झड़प नहीं थी, बल्कि चुनावी प्रक्रिया पर हथियारबंद हमला था।

दिनांक 14 अगस्त 2025 को वोटिंग के बीच, एक प्रत्याशी के समर्थकों ने प्रतिद्वंदी समर्थकों पर पिस्टल से ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। गोलियों की आवाज़ से मतदान केंद्र का माहौल दहशत में बदल गया, लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे। इस गोलीबारी में महेंद्र सिंह बिष्ट उर्फ गोधन सिंह, पुत्र श्री मोहन सिंह, निवासी छड़ा खैरना, थाना भवाली, जिला नैनीताल, गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें तत्काल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खैरना ले जाया गया, जहां से उनकी गंभीर हालत को देखते हुए हायर सेंटर रेफर कर दिया गया।

वादी की तहरीर पर थाना बेतालघाट में सशस्त्र विद्रोह, जान से मारने की धमकी, और अन्य गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ। इसके बाद कार्रवाई करते हुए नामजद 06 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया और 02 वाहन सीज कर दिए गए।

गिरफ्तार आरोपी और उनके पते इस प्रकार हैं –

  1. दीपक सिंह रावत उर्फ लटवाल (28 वर्ष), पुत्र सुरेंद्र सिंह – निवासी चित्रकूट, कोटद्वार रोड (चोरपानी), रामनगर।
  2. यश भटनागर उर्फ यशु (19 वर्ष), पुत्र राजीव भटनागर – निवासी शिवलालपुर रोनिया, रामनगर।
  3. वीरेंद्र आर्य उर्फ विक्की (39 वर्ष), पुत्र मोहन राम – निवासी लखनपुर, रामनगर।
  4. रविंद्र कुमार उर्फ रवि (28 वर्ष), पुत्र चंदन प्रकाश – निवासी ढेला पटरानी, रामनगर।
  5. प्रकाश भट्ट (28 वर्ष), पुत्र गोपाल दत्त – निवासी खुरियाखत्ता नंबर 08, बिंदुखत्ता।
  6. पंकज पपोला (29 वर्ष), पुत्र नर सिंह – निवासी खुरियाखत्ता नंबर 09, बिंदुखत्ता।

इन नामों की लिस्ट यह बताने के लिए काफी है कि घटना किसी अचानक भड़की हुई हिंसा का नतीजा नहीं, बल्कि सुनियोजित हमला था। सवाल यह है कि ये लोग हथियार लेकर मतदान केंद्र तक पहुंचे कैसे? और किसके भरोसे ये इतने निडर होकर फायरिंग कर सके?

बेतालघाट की यह घटना सिर्फ एक ब्लॉक प्रमुख चुनाव की कहानी नहीं, बल्कि इस सच का आईना है कि सत्ता की छाया में पनप रहे चुनावी गुंडे लोकतांत्रिक व्यवस्था को अपने पैरों तले कुचलने में जरा भी हिचकिचाते नहीं। जनता के वोट की ताकत को बंदूक की गोलियों से दबाने की कोशिश, आने वाले वक्त में लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत है।

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