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उत्तराखण्ड

रंगारंग प्रस्तुतियों और पहाड़ी लोकगीतों से सजा उदय मेमोरियल स्कूल का ‘कला उत्सव’

पाटकोट के उदय मेमोरियल पब्लिक स्कूल में तीसरा वार्षिकोत्सव ‘कला उत्सव’ का भव्य आयोजन

रामनगर (नैनीताल):
पाटकोट के उदय मेमोरियल पब्लिक स्कूल में रविवार को तीसरा वार्षिकोत्सव ‘कला उत्सव’ बड़े ही धूमधाम और उल्लास के साथ मनाया गया। इस आयोजन ने क्षेत्र में सांस्कृतिक और शैक्षणिक उन्नति का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया। बच्चों द्वारा दी गई रंगारंग प्रस्तुतियों ने दर्शकों का मन मोह लिया और कार्यक्रम को सफल बना दिया।

पहाड़ी लोकगीतों से शुरुआत

कार्यक्रम की शुरुआत पहाड़ी संस्कृति से जुड़े लोकगीतों के साथ हुई। इन मधुर धुनों और गीतों ने दर्शकों को उत्तराखंड की संस्कृति की गहराई से रूबरू कराया। बच्चों की सुंदर प्रस्तुतियों ने क्षेत्रीय कला और परंपराओं को जीवंत कर दिया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि

इस भव्य आयोजन में कई प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों ने शिरकत की।
मुख्य अतिथियों में सामाजिक कार्यकर्ता श्वेता मासीवाल, सन्डे पोस्ट के संपादक अपूर्व जोशी, उत्तराखंड महिला आयोग की पूर्व उपाध्यक्ष अमिता लोहनी, लोक कलाकार यतिन कांडपाल, और पत्रकार खुशाल रावत शामिल रहे। इन सभी अतिथियों ने बच्चों और स्कूल प्रबंधन की सराहना की।

सामाजिक कार्यकर्ता श्वेता मासीवाल ने बच्चों की कला और मेहनत की प्रशंसा करते हुए कहा, “दुर्गम क्षेत्रों में इस तरह के आयोजन बच्चों को प्रेरणा देने का काम करते हैं।”
सन्डे पोस्ट के संपादक अपूर्व जोशी ने कहा, “यह आयोजन बच्चों की प्रतिभा और शिक्षा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का प्रमाण है।”
अमिता लोहनी, जो उत्तराखंड महिला आयोग की पूर्व उपाध्यक्ष हैं, ने विद्यालय परिवार को इस भव्य आयोजन के लिए बधाई दी।

रंगारंग प्रस्तुतियां

कार्यक्रम के दौरान बच्चों ने सांस्कृतिक और सामाजिक विषयों पर आधारित नृत्य और नाटकों की प्रस्तुतियां दीं।

पहाड़ी लोकनृत्य: बच्चों ने उत्तराखंड की पारंपरिक लोक धुनों पर नृत्य कर दर्शकों का दिल जीत लिया।

सामाजिक संदेश: ‘स्वच्छ भारत अभियान’ और पर्यावरण संरक्षण पर आधारित प्रस्तुतियां दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर गईं।

नाटक प्रस्तुति: बच्चों द्वारा प्रस्तुत नाटक ने मनोरंजन के साथ-साथ एक गहरा सामाजिक संदेश भी दिया।

विद्यालय प्रबंधन की सराहना

कार्यक्रम में मुख्य अतिथियों ने विद्यालय की प्रबंधक रूपा आर्या और उपप्रधानाचार्या प्रियंका भंडारी के प्रयासों की भूरि-भूरि प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि स्कूल प्रबंधन ने दुर्गम क्षेत्र में बच्चों को न केवल शिक्षा बल्कि उनकी कलात्मक प्रतिभा को भी निखारने का एक सशक्त मंच दिया है।

क्षेत्रवासियों की भागीदारी

इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में अभिभावकों और क्षेत्रवासियों ने भाग लिया। सभी ने बच्चों की प्रतिभा को सराहा और कहा कि इस तरह के आयोजन बच्चों को आत्मविश्वास और प्रेरणा देने में मदद करते हैं।

भविष्य के लिए प्रेरणा

‘कला उत्सव’ ने यह साबित कर दिया कि शिक्षा और संस्कृति का संगम बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। कार्यक्रम का समापन सभी अतिथियों के आशीर्वाद और विद्यालय परिवार के प्रति आभार व्यक्त करते हुए हुआ।

निष्कर्ष

पाटकोट जैसे दुर्गम क्षेत्र में ‘कला उत्सव’ जैसे कार्यक्रम यह साबित करते हैं कि जब शिक्षण संस्थान बच्चों की प्रतिभा को निखारने के लिए समर्पित होते हैं, तो सीमाएं कोई बाधा नहीं बनतीं। यह आयोजन न केवल बच्चों के लिए एक यादगार अनुभव रहा, बल्कि क्षेत्र के सांस्कृतिक और शैक्षणिक विकास की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।

 

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संपादक –

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