उत्तराखण्ड
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न रोकथाम को लेकर जागरूकता सत्र आयोजित
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रामनगर। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के कालागढ़ वन्यजीव प्रशिक्षण केंद्र में कार्यस्थल को सुरक्षित और समावेशी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के तहत कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न रोकथाम (POSH) पर एक जागरूकता सत्र का आयोजन किया गया। यह सत्र कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक डॉ. साकेत बडोला के नेतृत्व में संपन्न हुआ, जिसमें वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने भाग लिया।
कार्यस्थल की सुरक्षा पर विस्तृत चर्चा
सत्र के दौरान POSH अधिनियम, नेतृत्व की भूमिका, पेशेवर व्यवहार और अनुचित आचरण के बीच की महीन रेखा, और एक सुरक्षित कार्य संस्कृति के महत्व पर गहन चर्चा हुई। इस दौरान इंटरएक्टिव चर्चाएं, वास्तविक जीवन के केस स्टडीज, भूमिका निभाने के अभ्यास और वीडियो-आधारित लर्निंग को शामिल किया गया, जिससे यह सत्र सभी प्रतिभागियों के लिए एक व्यावहारिक अनुभव बन गया।
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के पार्क वार्डन अमित कुमार ग्वासिकोटी ने कार्यस्थल सुरक्षा को उत्पादकता और मनोबल से जोड़ते हुए कहा,
“कॉर्बेट टाइगर रिजर्व न केवल वन्यजीवों के लिए अभयारण्य है, बल्कि सैकड़ों समर्पित कर्मियों का कार्यस्थल भी है। एक सुरक्षित और सम्मानजनक वातावरण सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिकता है।”
उप प्रभागीय वनाधिकारी, कालागढ़ बिंदर पाल ने इस पहल को कार्यस्थल नैतिकता और सुरक्षा के उच्चतम मानकों को बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
POSH जागरूकता की आवश्यकता पर बल
उप प्रभागीय वनाधिकारी, सोनानदी कालागढ़ टाइगर रिजर्व अनामिका बुक्करवाल ने कहा,
“POSH की जागरूकता और समझ केवल कानूनी अनुपालन के लिए ही नहीं, बल्कि कार्य संस्कृति में सम्मान और विश्वास को विकसित करने के लिए भी आवश्यक है।”
उप प्रभागीय वनाधिकारी, अदनाला कालागढ़ टाइगर रिजर्व शिप्रा वर्मा ने इस बात पर जोर दिया कि,
“सुरक्षित कार्यस्थल न केवल उत्पादकता को बढ़ाता है, बल्कि टीम के मनोबल को भी ऊंचा करता है। POSH अधिनियम की बारीकियों को समझकर, हम नेतृत्वकर्ताओं को अधिक जिम्मेदार और जागरूक बना सकते हैं।”
“POSH अनप्लग्ड गाइड” के हिंदी संस्करण का विमोचन
इस कार्यक्रम का प्रमुख आकर्षण “POSH अनप्लग्ड गाइड” के हिंदी अनुवाद संस्करण का आधिकारिक विमोचन रहा। इस गाइड को विशेष रूप से कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के लिए अनुकूलित किया गया है और इसे उप प्रभागीय वनाधिकारी अमित कुमार ग्वासिकोटी, बिंदर पाल, अनामिका बुक्करवाल और शिप्रा वर्मा द्वारा लॉन्च किया गया। यह गाइड कर्मचारियों और नेतृत्वकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन बनेगी, जिससे वे कार्यस्थल सुरक्षा और अनुपालन को बेहतर ढंग से समझ सकें।
नेतृत्वकर्ताओं की भूमिका पर विशेष जोर
विशाल मसीन ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा,
“POSH केवल एक कानूनी अनुपालन नहीं है, बल्कि यह सम्मान, विश्वास और जवाबदेही की संस्कृति को विकसित करने का विषय है। नेतृत्वकर्ताओं के पास इस बदलाव को प्रेरित करने की शक्ति होती है, और आज का यह सत्र दर्शाता है कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व एक ऐसा कार्यस्थल बनाना चाहता है, जहां हर व्यक्ति सुरक्षित और मूल्यवान महसूस करे।”
कार्यस्थल पर सुरक्षा और समानता की दिशा में बड़ा कदम
इस महत्वपूर्ण पहल के माध्यम से कॉर्बेट टाइगर रिजर्व ने कार्यस्थल को उत्पीड़न और भेदभाव से मुक्त रखने की दिशा में एक सशक्त उदाहरण प्रस्तुत किया है। सत्र के अंत में निष्कर्ष निकाला गया कि कार्यस्थल सुरक्षा केवल एक नीतिगत विषय नहीं है, बल्कि यह हर कर्मचारी की व्यक्तिगत जिम्मेदारी भी है।
कार्यक्रम में शामिल अधिकारी
इस कार्यक्रम में अमित कुमार ग्वासीकोटी (उप प्रभागीय वनाधिकारी, बिजरानी), बिंदर पाल (उप प्रभागीय वनाधिकारी, कालागढ़), अनामिका बुक्करवाल (उप प्रभागीय वनाधिकारी, सोनानदी), शिप्रा वर्मा (उप प्रभागीय वनाधिकारी, अदनाला), हरेन्द्र बर्गली (संयोजक, द कॉर्बेट फाउंडेशन विकुली), भानु प्रकाश हर्बोला (वन क्षेत्राधिकारी, बिजरानी), उमेश चंद्र आर्या (वन क्षेत्राधिकारी, सर्पदुली), नवीन चंद्र पांडे (वन क्षेत्राधिकारी, बेला), नंद किशोर रूवाली (वन क्षेत्राधिकारी, झिरना), मनीष कुमार (वन क्षेत्राधिकारी, कालागढ़), संजय पांडे (वन क्षेत्राधिकारी, सुरक्षा इकाई), इन्द्र सिंह बिष्ट (वन क्षेत्राधिकारी, वन्यजीव प्रशिक्षण केंद्र), प्रमोद त्रिपाठी (वन क्षेत्राधिकारी, शोध एवं अनुश्रवण रेंज), नवीन जोशी (वन क्षेत्राधिकारी, अदनाला), विकास रावत (वन क्षेत्राधिकारी, सोनानदी), आशीष मोहन तिवारी (वन क्षेत्राधिकारी, पाखरो), हरेन्द्र रावत (वन क्षेत्राधिकारी, मैदावन), अजय रावत (वन क्षेत्राधिकारी, मंदाल), अमोल ईष्टवाल (वन क्षेत्राधिकारी, पलेन) सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
आगे भी जारी रहेगा यह प्रयास
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व ने इस सत्र के माध्यम से कार्यस्थल सुरक्षा को प्राथमिकता देने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है। यह सत्र केवल एक शुरुआत है, और आने वाले समय में इस तरह के और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के आयोजन की योजना बनाई जा रही है, ताकि कार्यस्थल पर समानता, सुरक्षा और सम्मान की संस्कृति को और अधिक मजबूत किया जा सके।
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