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उत्तराखण्ड

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना का दो दिवसीय भ्रमण: कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में बाघ से लेकर हाथियों तक के दर्शन

रामनगर।
भारत के उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने अपने परिवार के साथ शनिवार को दो दिवसीय भ्रमण के लिए कॉर्बेट टाइगर रिजर्व का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने न केवल जंगल की खूबसूरती का आनंद लिया, बल्कि वन्यजीवों और उनकी सुरक्षा से जुड़े प्रबंधन की गहन जानकारी भी ली।

मुख्य न्यायाधीश का स्वागत प्रमुख वन संरक्षक (वन्यजीव) रंजन कुमार मिश्र, निदेशक कॉर्बेट टाइगर रिजर्व डॉ. साकेत बडोला और उपनिदेशक राहुल मिश्रा द्वारा किया गया। भ्रमण की शुरुआत धनगढ़ी स्थित कॉर्बेट इंटरप्रिटेशन सेंटर से हुई, जहां उन्होंने जिम कॉर्बेट के जीवन, उनके योगदान और टाइगर रिजर्व के इतिहास को समझा।

ढिकाला में वन्यजीवों से सजी सैर

ढिकाला जोन के भ्रमण के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने प्रसिद्ध चैंपियन रोड का दौरा किया। सफारी के दौरान उन्हें 20-25 हाथियों के झुंड, चीतल, सांभर और हिरण के अद्भुत नजारे देखने को मिले। रविवार सुबह ढिकाला चौड़ में बाघ के दीदार ने उनकी यात्रा को यादगार बना दिया।

वन्यजीव संरक्षण पर चर्चा

मुख्य न्यायाधीश ने फील्ड स्टाफ के साथ चर्चा कर उनके सामने आने वाली चुनौतियों को जाना। उन्होंने वनों और वन्यजीवों के संरक्षण के लिए स्टाफ के समर्पण की सराहना की। इस दौरान उन्होंने पार्क प्रबंधन के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए वनों के प्रबंधन में पेशेवर दृष्टिकोण अपनाने पर खुशी जाहिर की।

विशेष प्रस्तुति और रिपोर्ट पर जानकारी

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के अधिकारियों ने मुख्य न्यायाधीश को “स्टेट्स ऑफ टाइगर्स इन उत्तराखंड” रिपोर्ट के बारे में विस्तार से जानकारी दी। ढिकाला स्थित कर ग्रासलैंड और रामगंगा जलाशय के दौरे के दौरान रिजर्व की जैव विविधता को समझने का अवसर मिला।

शहीदों को दी श्रद्धांजलि

अपनी यात्रा के समापन पर धनगढ़ी स्थित शहीद स्मारक पर मुख्य न्यायाधीश ने शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित की।

यात्रा को यादगार बनाने वाले वन अधिकारी

मुख्य न्यायाधीश की इस यात्रा को सफल बनाने में पार्क वार्डन अमित ग्वासीकोटी, रेंजर यू.सी. आर्या, अब्दुल सलाम, महेंद्र सिंह नेगी, विनोद बिष्ट और धरम पाल सिंह नेगी का विशेष योगदान रहा।

स्मृति चिन्ह और पुस्तक भेंट

मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक और निदेशक द्वारा मुख्य न्यायाधीश को जिम कॉर्बेट की लिखी किताबें और स्मृति चिन्ह भेंट किए गए, जो उनकी यात्रा का यादगार हिस्सा बने।

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की इस यात्रा ने न केवल पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाई, बल्कि न्यायपालिका के उच्चतम पद पर आसीन व्यक्ति की इस पहल ने देश में वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों को और बल दिया।

 

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