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उत्तराखण्ड

मुख्यमंत्री ने किया ‘वो 17 दिन’ पुस्तक का विमोचन

नई दिल्ली स्थित उत्तराखण्ड सदन में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ‘वो 17 दिन’ पुस्तक का विमोचन किया। यह पुस्तक सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों पर आधारित है, जो उनके संघर्ष, साहस और बचाव के रोमांचक पलों को दर्शाती है। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर अपने अनुभव भी साझा किए और बताया कि 41 श्रमिकों को सकुशल बाहर निकालना एक बड़ी उपलब्धि थी।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन और समर्थन से ही यह बचाव अभियान सफलतापूर्वक पूर्ण हो पाया। उन्होंने प्रधानमंत्री के नेतृत्व की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस अभियान ने हमें संकट के समय में धैर्य और सकारात्मकता के महत्व को समझाया है। इस अभियान में शामिल सभी व्यक्तियों की मेहनत और साहस की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पुस्तक उन सभी नायकों को समर्पित है जिन्होंने इस कठिन समय में अपना सर्वश्रेष्ठ दिया।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने पुस्तक के लेखक राजीव रंजन सिंह को शुभकामनाएं दीं और उनके प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि श्री सिंह ने अपने लेखन के माध्यम से एक ऐसा दस्तावेज प्रस्तुत किया है जो न केवल जानकारीपूर्ण है बल्कि प्रेरणादायक भी है। उन्होंने यह भी कहा कि सकारात्मकता और अनुभवों से भरी यह पुस्तक निश्चित रूप से पढ़ने योग्य है और यह पाठकों को जीवन में आने वाली कठिनाइयों से निपटने के लिए प्रेरित करेगी।

पुस्तक विमोचन समारोह में भाजपा के पूर्व उपाध्यक्ष श्री श्याम जाजू, पूर्व सांसद डॉ. रीता बहुगुणा जोशी और कई अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। सभी ने पुस्तक और इसके विषय वस्तु की प्रशंसा की और कहा कि यह पुस्तक समाज को जागरूक और प्रेरित करने में सहायक सिद्ध होगी।

श्री सिंह ने अपने भाषण में पुस्तक लिखने की प्रेरणा और सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों के संघर्ष को साझा किया। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक उन कठिनाइयों और चुनौतियों को उजागर करती है जिनका सामना श्रमिकों ने किया और कैसे वे अपने धैर्य और साहस के बल पर विजयी हुए। उन्होंने मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री का धन्यवाद करते हुए कहा कि उनके समर्थन और मार्गदर्शन के बिना यह अभियान सफल नहीं हो सकता था।

पुस्तक विमोचन के दौरान उपस्थित लोगों ने भी अपने विचार साझा किए और कहा कि ‘वो 17 दिन’ न केवल एक कहानी है, बल्कि यह मानवता की जीत का प्रतीक है। यह पुस्तक न केवल उन 41 श्रमिकों के संघर्ष की गाथा है बल्कि यह एक संदेश भी है कि कठिन समय में धैर्य और साहस से हर चुनौती का सामना किया जा सकता है।

समारोह का समापन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तरह की कहानियाँ हमें हमारे समाज के असली नायकों को पहचानने और उनके योगदान को सराहने का अवसर देती हैं। उन्होंने सभी से अनुरोध किया कि वे इस पुस्तक को पढ़ें और इससे प्रेरणा लें।

इस प्रकार, ‘वो 17 दिन’ पुस्तक का विमोचन एक महत्वपूर्ण घटना साबित हुई जो न केवल उस ऐतिहासिक बचाव अभियान को याद दिलाती है बल्कि हमारे समाज को प्रेरणा और साहस का संदेश भी देती है।

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