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उत्तराखण्ड

मेडिकल स्टोर संचालकों को प्रतिबंधित दवाएं उपलब्ध कराने वाला मुख्य सप्लायर चढ़ा पुलिस के हत्थे

देहरादून। थाना प्रेमनगर पुलिस ने 1 लाख प्रतिबन्धित दवाओं को उपलब्ध कराने वाले दवाओं के मुख्य सप्लायर को गिरफ्तार कर लिया हैं। पुलिस के अनुसार आरोपी सीएफए की आड में अवैध सप्लाई करता था। 67 हजार प्रतिबंधित नशीली दवाओं को अवैध रुप से बेचने वाले मेडिकल स्टोर संचालक 02 अभियुक्तों को पूर्व में गिरफ्तार किया जा चुका है।

 पुलिस उपमहानिरीक्षक/वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून द्वारा जनपद मे नशे की बढती प्रवृत्ति पर रोकथाम हेतु चलाये जा रहे, जन जागरूकता व तस्करों की गिरफ्तारी के अभियान के संदर्भ में प्रभावी कार्यवाही करते हुये प्रेमनगर पुलिस टीम द्वारा रात्रि में मुखबिर की सूचना पर सुद्दोवाला चौक के निकट वंश मेडिकल स्टोर पर दबिश देकर मेडिकल स्टोर संचालक व उसके सगे भाई को कैमिस्ट की दुकान की आढ मे प्रतिबन्धित नशीली दवाओं को बेचते हुये 67848 कैप्सूलो व टैबलेट के साथ पकडा था, जिनके द्वारा बरामद माल को देहरादून निवासी इन्द्रप्रीत सिंह नाम के मेडिकल सप्लायर से खरीदना बताया था.

जिसपर पुलिस उपमहानिरीक्षक/वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के द्वारा उक्त इन्द्रप्रीत के सम्बन्ध में तथ्यों को तस्दीक करते हुये संलिप्तता होने पर शीघ्र गिरफ्तारी के आदेश पारित किये थे। जिस पर पुलिस अधीक्षक नगर के पर्यवेक्षण में पुलिस क्षेत्राधिकारी प्रेमनगर के नेतृत्व मे टीम गठित कर मुकदमा अपराध सख्या 89/2023 धारा 8/22/29 एनडीपीएस एक्ट की विवेचना में प्रकाश में आये साक्ष्यो को संकलित कर व तथ्यों को तस्दीक करने के पश्चात आज प्रातः में अभियुक्त इन्द्रप्रीत सिंह पुत्र स्व. प्रताप सिंह निवासी 65/4 रेसकोर्स देहरादून को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तार अभियुक्त इन्द्रप्रीत सिंह पुत्र स्व. प्रताप सिंह निवासी 65/4 रेसकोर्स देहरादून ने पूछताछ में बताया की उसकी सुपर मेडिकल सप्लायर के नाम से अजबपुर चौक के पास मेडिकल स्टोर है जिसे वह पिछले 03 वर्षों से संचालित कर रहा है।

कृष्ण कुमार पुत्र रमेश चन्द्र निवासी 76 बल्लूपुर फ्रैण्डस कालोनी देहरादून से उसकी मुलाकात करीब 06 माह पूर्व हुयी थी उक्त कृष्ण कुमार द्वारा इन्द्रप्रीत को यह प्रलोभन दिया गया कि यदि वह उसे ट्रामाडौल कैप्सूल के 1000 डिब्बे (144000 कैप्सूल) की सप्लाई देगा तो वह वर्तमान में व आने वाले समय में अपनी मेडिकल स्टोर के लिये दवाईयां हमेशा उसी के स्टोर से खरीदेगा चूंकि इन्द्रप्रीत सिंह द्वारा विभिन्न बैंको , फाईनेन्स कम्पनी तथा मार्केट से करीब 70 लाख रुपये का लोन लिया हुआ था। इसलिये उक्त लोनो की किश्तों को चुकाने व मुनाफा कमाने के लिये इन्द्रप्रीत ने कृष्ण कुमार द्वारा दिये प्रलोभन को स्वीकार कर लिया तथा फरवरी माह में बद्दी हिमाचल प्रदेश की एन.फार्मा मेडिकल कम्पनी को 01 हजार ट्रामाडौल कैप्सूल का आर्डर दिया,

जिस पर कम्पनी द्वारा मात्रा अधिक होने पर करीब 02 माह बाद इन्द्रप्रीत सिंह को 800 डिब्बों का आर्डर 5 मई को देहरादून पहुंचाया गया. जिसे इन्द्रप्रीत सिंह द्वारा 05 मई को ही 700 डिब्बे ट्रामाडौल के (100800 कैप्सूल) कृष्ण कुमार को सप्लाई कर दिये गये, जबकि नारकोटिक्स दवाओं के लाईसेन्स की शर्तों के अनुसार वह कृष्ण कुमार को 01 भी कैप्सूल नही दे सकता था, क्यूंकि कृष्ण कुमार के पास नारकोटिक्स दवाओं को बेचने का लाईसेन्स नही था, किन्तु लालच में आकर नियम व शर्तों को दरकिनार करते हुये इन्द्रप्रीत सिंह द्वारा यह गैरकानूनी कार्य किया गया। इसके पश्चात जब इन्द्रप्रीत को कृष्ण कुमार व उसके भाई विनय कुमार के ट्रामाडौल कैप्सूलों की बडी खेप के साथ पकडे जाने की जानकारी मिली तो आनन फानन में इन्द्रप्रीत द्वारा कृष्ण कुमार के नाम पर सप्लाई का फर्जी बिल बनाया गया, ताकि पुलिस व ड्रग विभाग को गुमराह कर सके।

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