उत्तराखण्ड
कांग्रेस पार्टी के विधायकों का निलम्बन अलोकतांत्रिक : करन माहरा
देहरादून। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने उत्तराखण्ड विधानसभा में कांग्रेस पार्टी के विधायकों के निलम्बन को अलोकतांत्रिक बताते हुए विधानसभा अध्यक्ष रितु खण्डूरी से विधायकों के निलम्बन को तत्काल वापस लिये जाने की मांग की है।
उत्तराखण्ड विधानसभा में कांग्रेस पार्टी के सभी विधायकों के निलम्बन पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री करन माहरा ने कहा कि अलोकतांत्रिक तरीके से विपक्षी दल के सभी विधायकों के निलम्बन की कार्रवाई का उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस पुरजोर विरोध करते हुए इस कार्रवाई की कठोर शब्दों में निन्दा करती है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के सभी मानकों एवं मापदण्डों पर कुठाराघात करते हुए अलोकतांत्रिकता का परिचय देते हुए कांग्रेस पार्टी के उन विधायकों को, जो प्रदेश की जनता के हितों की रक्षा के लिए, उन्हें जनता ने जो कर्तव्य निर्वहन की जिम्मेदारी दी है, उसके अनुसार सरकार को चेताने का काम कर रहे थे, को विधानसभा से निलंबित कर दिया गया है। यह भाजपा के फासीवादी एवं तानाशाही चरित्र का द्योतक है, जिसे लोकतंत्र में विश्वास रखने वाला कोई भी दल सहन नहीं करेगा।
करन माहरा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी की सदैव लोकतंत्र में गहरी आस्था रही है तथा पार्टी विधानसभा सदन की कार्रवाई में विश्वास रखती है इसलिए कांग्रेस पार्टी लोकतांत्रिक तरीके से जनहित के मुद्दों को सदन के उठाना चाहती है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा गौतम अडानी मामले में जे.पी.सी. गठित किये जाने, 100 करोड़ हिन्दुओं की आस्था के केन्द्र जोशीमठ के पुनरूद्धार एवं प्रभावितों के विस्थापन हेतु राहत पैकेज की घोषणा किये जाने, प्रदेश में हुए सभी भर्ती घोटालों की जांच उच्च न्यायालय के सिटिंग जज की निगरानी में सीबीआई से कराये जाने, अंकिता भण्डारी हत्याकाण्ड में वी.आई.पी. का नाम उजागर किये जाने, वर्ष में 6 माह सरकार का संचालन ग्रीष्मकालीन राजधानी के रूप में गैरसैण से किये जाने, देहरादून में युवा बेरोजगारों पर हुए लाठीचार्ज की निष्पक्ष जांच कराये जने, प्रदेश में सभी खाली पड़े सरकारी सेवा के पदों को तत्काल भरे जाने, प्रदेश के गन्ना किसानों का बकाया भुगतान शीघ्र किये जाने तथा प्रदेश की ध्वस्त पड़ी कानून व्यवस्था दुरूस्त किये जाने की मांग को लेकर दिनांक 13 मार्च 2023 को गैरसैण में विधानसभा का घेराव किया गया तथा इन्हीं जनहित के मुद्दों को कांग्रेस के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों द्वारा विधानसभा सदन में उठाया जा रहा है।
कांग्रेस विधायक आदेश चैहान द्वारा विशेषाधिकार के तहत जनहित का मामला सदन में उठाया गया जिसके लिए कांग्रेस पार्टी के सभी विधायकों को सदन से निलम्बित कर दिया गया। करन माहरा ने कहा कि चुने हुए जनप्रतिनिधियों को उनके कर्तव्यों से च्युत करना लोकतंत्र के प्रति अपराध है। असहमति के स्वरों को सुनना एवं स्वीकार करना स्वस्थ लोकतंत्र की पहचान है तथा सदन लोकतंत्र के मूल्यों की रक्षा का सर्वोच्च मंच है। प्रदेश की आम जनता की आवाज उठाने पर विधानसभा अध्यक्ष द्वारा की गई यह कार्रवाई लोकतंत्र के लिए अच्छा संदेश नहीं है। चुने हुए विधायकों को विधानसभा से बाहर करने की यह घटना लोकतंत्र के इतिहास में काले अक्षरों में अंकित की जायेगी।
उन्हांेंने कहा कि स्वस्थ लोकतांत्रिक परम्परा में असहमति को भी सुनना पड़ता है और जनता से जुडे हुए मुद्दों पर अगर लोकतंत्र के सर्वोच्च मन्दिर में चर्चा नहीं की जायेगी तो वे बतायें कि वे किस सदन में चर्चा करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि सदन में गतिरोध बढाने के लिए भाजपा ने विपक्षी दल के विधायकों के साथ जिस प्रकार की कार्रवाई की है वह भाजपा के तानाशाही चेहरे को उजागर करती है। भारतीय जनता पार्टी के नेता विपक्ष के विचारों को सुनना नही चाहते हैं तथा विपक्ष की आवाज को हिटलरशाही रवैये से दबाना चाहते हंै। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के सभी विधायकों का निलंबन शीघ्र वापस लिया जाना चाहिए।