उत्तराखण्ड
कॉर्बेट नेशनल पार्क:साजिश,सियासत और चालबाज अधिकारी।
रामनगर (नैनीताल) डबल इंजन की सरकार में एक मंत्री था,उस मंत्री का एक खासमखास अफ़सर था,जिसने मंत्री की शह पर नियम विरुद्ध करोड़ों की लागत के निर्माण कार्य शुरू करा दिए ताकि उन निर्माण कार्यों के नाम पर कई करोड़ के व्यारे – नारे किये जा सके।राजधानी में बैठे सीनियर अफसर अपने इस जूनियर अफसर के कारनामे से भलीभांति वाकिफ होने के बाद भी उसके खिलाफ कोई एक्शन नही ले रहे थे,जबकि उन्ही का एक अफसर मंत्री का वरदहस्त प्राप्त अफसर के कारनामे से अवगत कराते हुए उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने के लिए पत्राचार कर रहा था लेकिन राजधानी में बैठे सीनियर अफसर मंत्री के चहेते अफसर पर कोई एक्शन लेने की जुर्रत तक नही कर सके।मानो उनके हाथ बंध गए,जुबान सील गई और आँखों मे पट्टी बंध गई।मामला कोर्ट में पहुंच गया,राजनीतिक खींचतान में डबल इंजन की सरकार से मंत्री भी पैदल हो गया तो अब राजधानी में बैठे उन अफसरों की आँखों से पट्टी उतर गई है,अब उनको वो सब भी दिखाई दे रहा है जो हुआ नहीं।कोर्ट का हंटर पड़ने और अपनी जवाबदेही से बचने के लिए देहरादून में बैठे यह सीनियर अफ़सर मीडिया के कंधे में बंदूक रख कर ‘शिकार’ कर रहे हैं निशाना वर्ल्ड फेमस कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की ओर हैं।
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व का पूर्व में निदेशक रह चुके राजधानी में बैठे सीनियर अफसर को ढिकाला में एक पुराने भवन को तोड़कर बनाए जा रहे नए भवन के निर्माण में भ्रष्टाचार नजर आया लेकिन कालागढ़ डिवीज़न के पाखरो में बिना अनुमति के हरे वृक्ष काट कर कराये जा रहे कई करोड़ों के अवैध निर्माण पर भ्रष्टाचार नज़र नहीं आया।ढिकाला में हो रहे निर्माण कार्य पर उन्होंने स्वतः संज्ञान लेकर रोक लगा दी लेकिन पाखरो में हो रहे निर्माण कार्य पर वह आंखें मूंदे रहे।जबकि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक राहुल उनके संज्ञान में ला चुके थे।कालागढ़ के डीएफओ किशन चंद नियम विरुद्ध पेड़ कटा कर मनमानी तरीके से सड़कें और गेस्ट हाउस का निर्माण कर रहे थे।निदेशक राहुल की आपत्ति के बावजूद भी वहां अवैध निर्माण जारी था।तत्कालीन वन मंत्री डाॅ हरक सिंह रावत का वरदहस्त प्राप्त डीएफओ किशन चंद निदेशक राहुल की आपत्तियों को भी दरकिनार कर रहा था।वह बेलगाम था,ढिकाला में भी वह अपनी मनमर्जी चलाना चाहता था।वह प्रयासरत था कि ढिकाला को भी कालागढ़ डिवीजन में शामिल कर उसका पूरा कंट्रोल अपने हाथ में ले लिया जाय।
कोर्ट का हंटर पड़ने के बाद विवादित अफ़सर किशन चंद पर एक्शन हुआ हैं। हंटर पड़ने के डर से अब राजधानी के एसी रूम में बैठे वो अफसर बौखलाए हुए हैं जो किशन चंद के पाखरो में किये कारनामों पर कोई संज्ञान न लेकर उसको बढावा देने का काम कर रहे थे।
तत्कालीन वन मंत्री डाॅ हरक सिंह रावत अब इस सरकार का हिस्सा नही रहे तो अब सरकार भी हरक सिंह रावत के चहेते अफसरों की खबर लेती दिख रही हैं।प्रदेश मुख्यालय में तैनात वह सीनियर वन अधिकारी भी अब खुद को ऐसा दिखा रहे है जैसा उनको पहले तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत ने ‘बंधक’ बनाकर रखा था।
पाखरो में किशन चंद के कारनामों के दौरान कुंभकर्णी नींद में सोये राजधानी के सीनियर अफसर अब जाग गए हैं लेकिन उनकी जागरूकता हानिकारक हैं।वह मीडिया के कंधे पर बंदूक रखकर गोली चला रहे हैं। प्रदेश की राजधानी ही नही,देश की राजधानी से भी कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के संदर्भ में तथ्यहीन खबरें प्रकाशित और प्रसारित की जा रही हैं।एशिया का पहला नेशनल पार्क,जहाँ देश के सर्वाधिक बाघ पाये जाते हैं उस कॉर्बेट नेशनल पार्क में राजधानी देहरादून में बैठे सीनियर वन अधिकारी अपना एकाधिकार चाहते हैं।
जारी है..




