उत्तराखण्ड
थर्टी फर्स्ट को कॉर्बेट पार्क के दो जोनों को बंद कराने की तैयारी में जुटे ग्रामीण, आंदोलन से घबराए पार्क निदेशक ने वार्ता के लिए बुलाया।
रामनगर।जंगली जानवरों से इंसानों, फसलों, मवेशियों की सुरक्षा की मांग को लेकर आगामी 31 दिसंबर को कॉर्बेट नेशनल पार्क के ढेला- झिरना जोन बंद को सफल बनाने के लिए संघर्ष समिति का जनसंपर्क अभियान आज भी जारी रहा। समिति के सदस्यों ने आज ढेला, पटरानी इत्यादि ग्रामों में बैठकें आयोजित कर ग्रामीणों से 30 दिसंबर की रात्रि में धरने हेतु सांवल्दे ग्राम पहुंचने की अपील की है।
समिति के संयोजक ललित उप्रेती ने कहा कि उत्तराखंड जंगली जंगली जानवरों का प्रदेश बनता जा रहा है। राज्य निर्माण के समय उत्तराखंड में लगभग 65 प्रतिशत वन भूमि थी जो की बढ़कर आज 70% से भी अधिक हो चुकी है। जंगली जानवरों के बड़ रहे हमलों के कारण उत्तराखंड के 17 सौ से भी अधिक गांव भूतहा गांव हो चुके हैं । टाइगर, तेंदुए,हाथी जंगली सूअर आदि हिंसक पशु आए दिन लोगों पर हमला कर रहे हैं और उत्तराखंड सरकार चैन की नींद सो रही है। उसे नींद से जगाने के लिए 31 दिसंबर को पार्क बंद करने का निर्णय लेना पड़ा है।
महेश जोशी ने कहा कि सरकार की नजर में हम गांव वासियों के जीवन की कोई भी कीमत नहीं है। उपनिदेशक कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में धरने पर आकर बताया था कि आदमखोर टाइगर को ट्रेंकुलाइज करने के आदेश ले लिए गए हैं इसके बावजूद भी अभी तक टाइगर ना तो पकड़ा गया है और ना ही उसे मारा गया है। उन्होंने कहा कि जंगली जानवरों के हमले में मृतक के परिजनों को 25 लाख रुपए मुआवजा व घायलों को संपूर्ण इलाज की गारंटी तथा 10 लाख रुपए मुआवजे का प्रावधान किया जाना चाहिए।
सोवन सिंह तड़ियाल ने कहा कि सरकार ने दर्जनों दायित्वधारी मंत्रियों के लिए प्रतिमाह लाखों रुपए का बजट रखा है परंतु जंगली जानवरों के हमले में घायल अंकित को इलाज के लिए मात्र ₹50 हजार ही दिए हैं जबकि इसके इलाज में 20 लाख रुपए से भी अधिक खर्च हो रहे हैं।
निदेशक कार्बेट टाइगर रिजर्व ने पत्र लिखकर संघर्ष समिति को 29 दिसंबर को वार्ता के लिए आमंत्रित किया है। संघर्ष समिति ने उम्मीद जताई है कि निदेशक कार्बेट टाइगर रिजर्व सकारात्मक रूप से ग्रामीणों की समस्या का समाधान प्रस्तुत करेंगे।
जनसंपर्क अभियान मेंललित अधिकारी ,बसंत कुमार ,कमला देवी ,रामूली देवी,सोबन सिंह तड़ियल ,महेश जोशी ,गोपाल मेहरा ,ललित उप्रेती ,कमल अधिकारी आदि दर्जनों लोग शामिल रहे।