उत्तराखण्ड
कैमरा ट्रैप और ड्रोन की निगरानी पर परिचर्चा: निजता के अधिकार की रक्षा पर जोर
रामनगर।
कार्बेट नेशनल पार्क और संरक्षित प्राकृतिक क्षेत्रों पर नजर रखने के लिए तेजी से बढ़ रहे कैमरा ट्रैप, साउंड रिकॉर्डर और ड्रोन जैसे तकनीकी साधनों के इस्तेमाल को लेकर जागरूकता और चर्चा के लिए महिला एकता मंच द्वारा एक महत्वपूर्ण परिचर्चा का आयोजन किया गया है। यह परिचर्चा कल, 2 दिसंबर को दोपहर 12 बजे देवभूमि व्यापार भवन, रामनगर में आयोजित होगी।
इस परिचर्चा में इंग्लैंड की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता त्रिशांत शिमलाई विशेष अतिथि के रूप में शामिल होंगे। त्रिशांत शिमलाई ने वर्ष 2018-19 में 14 महीने तक क्षेत्रीय अध्ययन के दौरान 270 स्थानीय लोगों का इंटरव्यू किया था। इनमें से अधिकांश महिलाएं थीं, जो जंगलों पर अपनी जीविका के लिए निर्भर रहती हैं।
शोध के मुख्य बिंदु
शोधकर्ता त्रिशांत शिमलाई द्वारा किए गए इस अध्ययन में यह बताया गया है कि जंगलों में निगरानी के लिए इस्तेमाल हो रही आधुनिक तकनीकें स्थानीय निवासियों, विशेषकर महिलाओं की निजता का उल्लंघन कर सकती हैं। इन तकनीकों का दुरुपयोग न केवल उनके जीवन पर प्रभाव डालता है, बल्कि उनके स्वतंत्र और प्राकृतिक संसाधनों तक पहुंचने के अधिकार को भी प्रभावित करता है।
महिला एकता मंच का नजरिया
महिला एकता मंच की संयोजक ललिता रावत ने कहा, “उत्तराखंड में बड़ी संख्या में महिलाएं अपनी आजीविका के लिए जंगलों पर निर्भर हैं। ऐसे में पार्क और वन प्रशासन द्वारा कैमरा और ड्रोन का इस्तेमाल उनकी निजता का उल्लंघन है। हमें इस शोध से शिक्षा लेकर जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।”
जनता को जागरूक करने की अपील
महिला एकता मंच की सदस्य कौशल्या ने बताया कि त्रिशांत शिमलाई द्वारा 14 महीने की रिसर्च से जुड़े तथ्यों को जनता के सामने रखा जाएगा। वहीं, सरस्वती जोशी ने क्षेत्र की जनता और पत्रकारों से इस परिचर्चा में अधिक से अधिक संख्या में शामिल होने की अपील की है।
यह परिचर्चा न केवल तकनीकी निगरानी के बढ़ते प्रभावों पर चर्चा करने का मंच होगी, बल्कि यह जनता के अधिकारों और उनकी निजता की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाने का आह्वान भी करेगी।