उत्तराखण्ड
“देवभूमि” को “दारूभूमि” बनाने की कोशिश,सरकार ने रामनगर को बना दिया “शराब का हब”!
रामनगर (नैनीताल):
उत्तराखंड सरकार ने “देवीभूमि” को “दारूभूमि” में तब्दील करने का ऐलान कर दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने राजस्व के नाम पर अब रामनगर को शराब का नया गढ़ बनाने का फैसला किया है। जी हाँ, अब छोई, हाथी डगर, मोहान मार्ग और पाटकोट मार्ग जैसे संवेदनशील इलाकों में भी शराब की दुकानें खुलेंगी, ताकि यहाँ के लोगों को भी “सरकारी जहर” का स्वाद चखाया जा सके!
“विकास” की नई परिभाषा: गाँव-गाँव शराब, घर-घर बर्बादी!
सरकार का मानना है कि “जितनी ज्यादा शराब की दुकानें, उतना ज्यादा विकास!”इसी सोच के तहत नैनीताल जिले में 11 नई शराब की दुकानें खोली जा रही हैं, जिनमें से 4 रामनगर में लगाई जाएँगी। अब ग्रामीणों को दूर तक जाने की ज़रूरत नहीं, नशा उनके दरवाज़े तक पहुँचेगा!
क्या याद आता है उत्तराखंड का इतिहास?
कभी इसी धरती पर महिलाओं ने शराब के खिलाफ आंदोलन छेड़ा था, ठेके तोड़े थे, सरकारों को झुकाया था। आज वही सरकार शराब कारोबार को संरक्षण दे रही है। क्या धामी सरकार को यह नहीं याद कि शराब ने कितने परिवार बर्बाद किए हैं? या फिर “राजस्व” के आगे “समाज” की कोई कीमत नहीं?
रामनगर: कॉर्बेट सिटी को, “शराब का अड्डा” बनाने की कोशिश!
रामनगर में पहले से ही कई ठेके चल रहे हैं, लेकिन सरकार को लगता है कि “कम पड़ रहा है!” इसलिए अब छोई, हाथी डगर, मोहान मार्ग और पाटकोट मार्ग जैसी जगहों पर भी शराब की दुकानें खोली जाएँगी। क्या अगले कदम में स्कूलों और मंदिरों के बगल में भी ठेके खुलेंगे?
जनता से सवाल: कब तक चुप रहोगे?
शराब सिर्फ एक नशा नहीं, बल्कि परिवारों की बर्बादी, महिलाओं पर अत्याचार और अपराधों की जड़ है। अगर अभी नहीं जागे, तो वह दिन दूर नहीं जब हर गली में शराब की दुकान और हर घर में तबाही नज़र आएगी।
“जब सरकार खुद “जहर” बेचेगी, तो जनता क्या करेगी? पिएगी या विरोध करेगी?”




