उत्तराखण्ड
“FIR में सच है या सियासत? कारोबारी ने बना दिया थाने को फिल्म का सेट!”
“FIR या फिल्म की स्क्रिप्ट? कारोबारी ने बना दिया पूर्व विधायक को गैंगस्टर!”
नैनीताल:रामनगर की सियासत में इस वक्त एक FIR चर्चा में है—लेकिन ये कोई मामूली रिपोर्ट नहीं, बल्कि पूरी एक क्राइम थ्रिलर स्क्रिप्ट है। FIR में नाम है—पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत, और किरदार ऐसा कि बॉलीवुड के डॉन भी शरमा जाएं।
कभी कारोबारी नीरज अग्रवाल के बेहद खास रहे कांग्रेस नेता रणजीत रावत अब उन्हीं के FIR में ‘गैंग का सरदार’ बना दिए गए हैं। कारोबारी की तहरीर पढ़िए तो लगेगा जैसे रामनगर में कोई अंडरवर्ल्ड गैंग सक्रिय हो—हथियारबंद गुंडे, रंगदारी की मांग, बेटे को किडनैप करने की कोशिश, और जान से मारने की धमकी… मतलब FIR नहीं, फुल मसालेदार स्क्रिप्ट!
नीरज अग्रवाल का आरोप है कि जिस संपत्ति पर कांग्रेस का दफ्तर चल रहा था, उस पर उन्होंने पुलिस की मौजूदगी में सोमवार को फिर से कब्जा ले लिया। बस यहीं से शुरू होता है “FIR—द रिवेंज सीक्वल”। कारोबारी का दावा है कि पूर्व विधायक रावत और उनके 10-15 समर्थक, जिनमें भुवन शर्मा, महेन्द्र प्रताप बिष्ट उर्फ मन्नु, सुमित शर्मा, ओम प्रकाश आर्यवंशी, अतुल सक्सेना जैसे नाम शामिल हैं, हथियार लेकर पहुंचे, गालियां दीं, और रंगदारी के दो लाख रुपये न देने पर बेटे को उठाने की धमकी दे डाली।
अब कटाक्ष यह है कि जिन महेन्द्र प्रताप बिष्ट को FIR में शामिल किया गया, वो तो घटना से कई दिन पहले ही उत्तराखंड से बाहर हैँ! मतलब स्क्रिप्ट इतनी तेज़ लिखी गई कि कास्टिंग चेक करना ही भूल गए!
खास बात यह भी है कि FIR दर्ज कराने में नीरज अग्रवाल को कांग्रेस के ही हरीश रावत गुट का खुला समर्थन मिला, यानी जिस पार्टी से नेता हैं, उसी पार्टी के दूसरे गुट ने उन्हें FIR में विलेन बना डाला। सियासी स्क्रिप्ट में इससे बेहतर ट्विस्ट क्या होगा?
पुलिस ने इस ‘सुपरहिट शिकायत’ पर फौरन एक्शन लेते हुए बीएनएस की धारा 190, 191(2), 191(3), 131, 308(4), 351(2) और 352 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है। धाराएं इतनी गंभीर हैं कि मानो अगले सीन में पुलिस STF बुलाने वाली हो।
तो जनाब, ये है रामनगर की वो कहानी, जहां FIR असल में एक फिल्म की स्क्रिप्ट बन गई है—जिसमें राजनीति है, दुश्मनी है, धमकी है और एक पूरा गैंगस्टर यूनिवर्स







