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उत्तराखण्ड

प्रशासनिक लापरवाही या जानबूझकर अनदेखी? जी-20 खत्म, लेकिन नो-एंट्री का आदेश अब भी लागू!

प्रशासनिक लापरवाही या जानबूझकर अनदेखी? जी-20 खत्म, लेकिन नो-एंट्री का आदेश अब भी लागू!

रामनगर: जी-20 सम्मेलन की तैयारियों के दौरान नैनीताल प्रशासन द्वारा उठाए गए कई कदमों में से एक वाहनों की आवाजाही को लेकर लागू किया गया ‘नो एंट्री’ का आदेश अब शहरवासियों के लिए सिरदर्द बन चुका है। लखनपुर से बैराज तक जाने वाली सड़क पर सुबह-शाम के समय दो घंटे की वाहनों की आवाजाही रोकने का आदेश, जो जी-20 के दौरान जारी किया गया था, अब भी लागू है, जबकि सम्मेलन खत्म हुए डेढ़ वर्ष होने जा रहे हैं।

जी-20 के दौरान प्रशासन ने शहर की सांस्कृतिक छवि को संवारने के लिए डिग्री कॉलेज और PWD की दीवारों पर पेंटिंग्स बनवाकर सांस्कृतिक कलाकृतियों का प्रदर्शन किया था। इन कलाकृतियों को जनता अच्छी तरह से देख सके, इसके लिए सुबह-शाम को दो घंटे तक वाहनों की आवाजाही रोक दी गई थी। इस कदम को जनता ने सराहा, लेकिन जैसे ही जी-20 सम्मेलन समाप्त हुआ, इन दीवारों पर बनाई गईं कलाकृतियां धीरे-धीरे मिट गईं। परंतु प्रशासन द्वारा जारी किया गया वाहनों की नो-एंट्री का आदेश अब भी लागू है, जो शहर के लोगों के लिए बड़ी मुसीबत बन चुका है।

प्रशासन की अनदेखी या अस्थायी आदेश की स्थायीत्व?

प्रशासन द्वारा जारी यह आदेश जी-20 के दौरान तो प्रासंगिक था, लेकिन इसके बाद भी इसे रद्द न करना प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाता है। इस आदेश की वजह से लखनपुर से बैराज जाने वाले सभी वाहन अब भवानी गंज और कोसी रोड पर डायवर्ट हो रहे हैं, जिससे इन सड़कों पर भारी भीड़ और ट्रैफिक जाम की समस्या उत्पन्न हो रही है। रोज़मर्रा के यात्री, और व्यापारियों को इस डायवर्जन की वजह से भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब सांस्कृतिक कलाकृतियां मिट चुकी हैं और जी-20 सम्मेलन समाप्त हो गया है, तो फिर इस आदेश को जारी रखने का क्या तात्पर्य है?

प्रशासनिक अधिकारियों का ट्रांसफर, लेकिन आदेश वहीं का वहीं!

जी-20 के लिए यह आदेश जारी करने वाले जिला अधिकारी अब दूसरी जगह ट्रांसफर हो चुके हैं, लेकिन उनके द्वारा जारी किए गए इस आदेश को नए अधिकारी द्वारा अब तक निरस्त नहीं किया गया है। शहरवासियों का मानना है कि यह प्रशासन की अनदेखी का परिणाम है, जिसमें अस्थायी रूप से लागू किए गए नियमों को स्थायी बना दिया जाता है और जनता को इसकी कीमत चुकानी पड़ती है।

कटाक्ष: जनता भुगते, प्रशासन सोए!

शहर के निवासियों का कहना है कि प्रशासनिक लापरवाही के कारण उन्हें इस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। क्या प्रशासन को यह नहीं पता कि सम्मेलन खत्म हो चुका है और कलाकृतियां भी मिट चुकी हैं? क्या अधिकारी सिर्फ आदेश जारी करके अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो गए हैं, जबकि जनता इस अव्यवस्था को झेल रही है?

शहर के एक निवासी ने कटाक्ष करते हुए कहा, “शायद प्रशासन अब जी-29 के इंतजार में है, ताकि इस आदेश को जारी रखने का कोई और बहाना मिल सके।”

यातायात व्यवस्था पर भारी असर

इस आदेश की वजह से मुख्य मार्ग की ट्रैफिक दूसरी सड़कों पर डायवर्ट हो रही है, जिससे भवानी गंज और कोसी रोड पर नियमित जाम लग रहा है। जहां पहले यातायात सुगम था, वहीं अब स्थिति यह है कि लोग घंटों तक ट्रैफिक में फंसे रहते हैं। व्यापारियों का कहना है कि इस डायवर्जन से उनके कारोबार पर भी असर पड़ा है, क्योंकि ग्राहकों को दुकान तक पहुंचने में परेशानी हो रही है।

प्रशासन की चुप्पी

इस मामले में अब तक प्रशासन की तरफ से कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है। लोगों की उम्मीद है कि नए अधिकारी इस मामले को गंभीरता से लेंगे और जल्द से जल्द इस आदेश को निरस्त करेंगे ताकि शहर के निवासियों को राहत मिल सके।

निष्कर्ष

प्रशासन की यह लापरवाही न केवल जनता की मुश्किलें बढ़ा रही है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करती है कि क्या अस्थायी आदेशों को रद्द करने की प्रक्रिया में भी प्रशासनिक सुस्ती बरती जाती है? जनता का धैर्य अब जवाब दे रहा है और यह आवश्यक है कि प्रशासन जल्द से जल्द इस आदेश को वापस ले और यातायात को सुगम बनाने की दिशा में कदम उठाए।

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संपादक –

नाम: खुशाल सिंह रावत
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