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उत्तराखण्ड

कल से 13 दिन के लिए शुरू होगी गोल्ज्यू देवता संदेश यात्रा

राज्य के विकास की अवधारणा को लेकर 25 अप्रैल से उत्तराखंड में न्याय के देवता कहे जाने वाले श्री गोल्ज्यू देवता की संदेश यात्रा निकाली जा रही है, यह यात्रा पिथौरागढ़ जिले के बोना गांव से 2200 किमी दूरी तय कर नैनीताल के घोड़ाखाल मंदिर पहुंचेगी, 13 दिनों में 26 पड़ाव और 150 कस्बों, गावों में लोगों से संवाद कर स्थानीय आवश्यकता, गावों मे संसाधनों की उपलब्धता व भविष्य की संभावनाओं पर एक शोध पत्र तैयार होगा। पूर्व रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी जीएस मर्तोलिया के मुताबिक समय के साथ पर्वतीय राज्य के सामाजिक व सांस्कृतिक स्वरूप में बदलाव आया है।

पलायन से खाली होते गांवों के आंकड़े सरकार के पास हैं लेकिन गांवों को आबाद करने की कार्य योजना नहीं है। घटते स्कूल, घटती छात्रसंख्या, बदहाल होती स्वास्थ्य सेवाओं ने भी पहाड़ों की राह मुश्किल की है। सीमांत राज्य के लिए सामरिक महत्व से भी यह अच्छा संकेत नहीं है। उत्तराखंड में गोलू देवता कों न्याय का देवता कहा जाता है, मान्यता है की अगर किसी के साथ न्याय ना हुआ तो वह गोलू देवता के मंदिर मे अर्जी लगाकर अपनी समस्या रखा सकता है और गोलू देवता उसका हल न्यायपूर्ण तरीके से क़र देते हैं, गोलू देवता का मूल निवास चम्पावत हैं, लेकिन वर्तमान मे उनका प्रसिद्ध मंदिर अल्मोड़ा मे चितई और नैनीताल जिले के घोड़ाखाल मे स्थित हैं।

13 दिनों की इस यात्रा के दौरान लोगों की बात जानने के लिए 22 बिंदुओं की प्रश्नावली तैयार की गई है। यात्रा से निकलकर आने वाली समस्याओं को स्थानीय प्रशासन व सरकार के स्तर से दूर कराने का प्रयास होगा। छह मई को घोड़ाखाल में गोल्ज्यू जागर और हवन के साथ यात्रा का समापन होगा। गोलू देवता की यात्रा कुमाऊ गढ़वाल के जिन 26 पड़ाव से गुजरेगी वहाँ के स्थानीय निवासी गोलू देवता की पूजा अपने रीति रीवाज से करेंगे, यात्रा के हर पड़ाव पर गोलू देवता की पंचायत भी लगेगी। आपको बता दें यह यात्रा उत्तराखंड के अधिकतर जिलों से होकर गुजरेगी।

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