उत्तराखण्ड
ग्राम पंचायत विकास अधिकारी परीक्षा धांधली- तत्कालीन आयोग समेत तीन आरोपियों को जमानत नहीं
नैनीताल। ग्राम पंचायत विकास अधिकारी की परीक्षा में हुई धांधली के मामले में उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष रघुवीर सिंह रावत, सचिव मनोहर सिंह कन्याल एवं परीक्षा नियंत्रक राजेंद्र सिंह पोखरिया की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ आयुष अग्रवाल द्वारा जानकारी देते हुए बताया कि उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा वर्ष 2016 में आयोजित की गयी ग्राम पंचायत विकास अधिकारी की परीक्षा में हुई धांधली के सम्बन्ध में सतर्कता सेक्टर देहरादून में मु०अ०सं० 1/20 धारा 420, 465, 467, 468, 471, 201409, 120बी भादवि व 13 (1) डी सपठित 13 (2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1968 का अभियोग पंजीकृत किया गया था। इस मुकदमे की विवेचना सितम्बर 2022 में उत्तराखण्ड शासन द्वारा एस0टी0एफ0 को स्थान्तरित की गयी थी। एस0टी0एफ0 द्वारा मुकदमे की विवेचना में साक्ष्य एकत्र करते हुए उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के तत्तकालीन अध्यक्ष रघुबीर सिंह रावत, तत्कालीन सचिव मनोहर सिंह कन्याल एवं तत्तकालीन परीक्षा नियंत्रक राजेन्द्र सिंह पोखरिया को गिरफ्तार किया गया था तथा ये तीनों ही अधिकारी पिछले एक वर्ष से अधिक समय से जेल में निरुद्ध हैं ।
इन तीनों अधिकारियों की पूर्व में विजिलेंस कोर्ट देहरादून द्वारा जमानत प्रार्थना पत्र खारिज किया गया था जिसके पश्चात उपरोक्त तीनों अधिकारियों द्वारा मा0 उच्च न्यायालय नैनीताल में जमानत याचिका लगाई गयी थी। जिनकी जमानत याचिका का विरोध में एसटीएफ द्वारा मुकदमे के विवेचना में अभियुक्तों के विरुद्ध एकत्रित किए गए सक्ष्यौं को माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर तीनों अभियुक्त की जमानत याचिका का पुरजोर विरोध किया गया था जिस पर माननीय उच्च न्यायालय द्वारा एस0टी0एफ0 के द्वारा प्रस्तुत किए गए साक्ष्यों का अवलोकन करने के पश्चात 9 नवम्बर को उक्त तीनों अधिकारीयों की जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ द्वारा यह भी बताया गया कि परीक्षा धांधली से जुड़े सभी मामलों में एसटीएफ द्वारा भिन्न भिन्न न्यायालयों में प्रभावी पैरवी की जा रही है जिसके परिणाम स्वरूप ऐसे सभी अपराधियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की जा सकेगी।