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उत्तराखण्ड

राजनीति के शातिर खिलाड़ी हरीश रावत को रामनगर में मिलेगी मात,इन नेताओं ने किया विरोध।

रामनगर(नैनीताल) उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस अभी तक अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं कर पाई है जबकि सत्ताधारी दल भाजपा ने आज अपने पार्टी उम्मीदवारों का ऐलान भी कर दिया हैं।रामनगर विधानसभा सीट पर कांग्रेस में भारी बगावत संकेत मिल रहे हैं।कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष और प्रदेश में फिर से अपने आप को मुख्यमंत्री बनाने की रणनीति के तहत काम कर रहे हरीश रावत के खिलाफ रामनगर में विरोध मुखर होता दिख रहा हैं।

फाईल फोटो

रामनगर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत सिंह रावत अपनी दावेदारी कर रहे हैं। बीते पांच साल से वह लगातार जनता के बीच सक्रिय लेकिन अब उनकी दावेदारी में हरीश रावत रोड़ा बन रहे हैं। पहले उन्होंने रणजीत रावत के पुत्र विक्रम रावत को यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटवाया फिर सल्ट उपचुनाव में विक्रम रावत को पार्टी उम्मीदवार नही बनने दिया।

2022 के विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के आंतरिक सर्वे में विक्रम रावत की जीत की संभावना के बावजूद हरीश रावत वहां भी विक्रम रावत की राह में रोड़ा अटका कर किसी और को पार्टी का टिकट दिलाने की कोशिश कर रहे हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत कांग्रेस की चुनाव प्रचार अभियान के अध्यक्ष हैं लेकिन उनका अभियान ज्यादा से ज्यादा अपने चहेते लोगों को टिकट दिलाना हैं जो जीतने के बाद मुख्यमंत्री के चयन में उनका समर्थन करें।साथ ही नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह के समर्थकों को टिकट से दूर रखा जायें,यह अभियान भी उनका जारी है।

कभी हरीश रावत के करीबी रहे प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत सिंह रावत अब प्रीतम सिंह के खेमे हैं। बताया जाता है कि 2017 के विधानसभा चुनावों में ही हरीश रावत और रणजीत रावत के बीच मतभेद हो गए थे। रणजीत रावत को 2017 के विधानसभा चुनाव में हराने के लिए हरीश रावत और उनके परिवारिक सदस्य भीतर घात कर रहे थे। प्रीतम सिंह को भी 2017 का विधानसभा चुनाव हराने की साजिश हुई थी।

हरीश रावत कांग्रेस की राजनीति के एक शातिर खिलाड़ी माने जाते हैं। उत्तराखंड के पहले आम विधानसभा चुनाव में जीतकर आई कांग्रेस सरकार में जब उनको मुख्यमंत्री न बना कर पंडित नारायण दत्त तिवारी को मुख्यमंत्री बनाया गया तो उन्होंने पूरे प्रदेश में विरोध प्रदर्शन करा दिए। कई जगह तो सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ न सिर्फ नारेबाजी की गई बल्कि उनके पुतले भी जलाए हैं।पंडित नारायण दत्त तिवारी की सरकार को अस्थिर करने का प्रयास चलता रहा हैं। संगठन और सरकार के बीच मतभेद पैदा किए ताकि पंडित नारायण दत्त तिवारी केंद्रीय नेतृत्व के सामने असफल साबित हो और उनको बदल कर हरीश रावत को मौका मिल जाए लेकिन यह मौका उनको मिला नही।

प्रदेश में दूसरी बार जब विजय बहुगुणा के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी तो हरीश रावत अंदर ही अंदर सुलग गए। खुद को मुख्यमंत्री न बनाये जाने पर उन्होंने फिर वही काम किया जो नारायण दत्त तिवारी के समय किया।प्रदेश भर में उन्होंने अपने समर्थकों से पार्टी हाईकमान के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन कराए, सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगाए गए,उनका पुतला दहन किया गया।

तत्कालीन विजय बहुगुणा सरकार के कार्यकाल के दौरान आई आपदा ने लोगों को गहरे जख्म दिए लेकिन हरीश रावत को मौका दे दिया कि वह केंद्रीय नेतृत्व से विजय बहुगुणा को हटवा कर खुद मुख्यमंत्री बन जायें।

मुख्यमंत्री बनने की उनकी लालसा इस बार भी जोर मार रही हैं।इसलिए कांग्रेस में जो उनके मुख्यमंत्री बनने की राह में रुकावट बन सकते हैं हरीश रावत पहले तो उनको टिकट देने नही देंगे और अगर टिकट मिल गया तो उस उम्मीदवार को जीतने नहीं देंगे।

हरीश रावत इस समय कांग्रेस नेता के तौर कम,अपनी निजी कंपनी के बॉस के रूप में काम कर रहे हैं।वह केंद्रीय नेतृत्व से अपने दोनों बेटे वीरेंद्र सिंह रावत और आनंद सिंह रावत के अलावा बेटी अनुपमा के लिए भी टिकट मांग रहे हैं।पार्टी नेतृत्व पर वो लगातार इसके लिए दबाव बना रहे हैं।

बताया जा रहा है कि हरीश रावत खुद को रामनगर से उम्मीदवार बनाने की कोशिश में हैं लेकिन उनका ज़बरदस्त विरोध हो गया हैं।
रामनगर विधानसभा क्षेत्र के दो प्रभावशाली नेताओं ने साफ साफ बोल दिया है कि यदि रणजीत सिंह रावत के अलावा किसी और को टिकट मिला तो वह भी अपना नामांकन दाखिल कर देंगे।यह दो वह नेता हैं जिनके बिना कांग्रेस की जीत संभव नहीं हो सकती। नगर पालिका अध्यक्ष मोहम्मद अकरम और प्रदेश कांग्रेस के महासचिव और दलित नेता किशोरी लाल ने रणजीत सिंह रावत का समर्थन करते हुए कहा कि उन्होंने पूरे पांच साल जनता के बीच में रह कर कांग्रेस को ऊंचाइयों पर ले जाने का काम किया है,कोरोना आपदा काल के दौरान जरूरतमंदों की मदद की, ऐसे लोकप्रिय व्यक्ति का टिकट काट कर किसी और को उम्मीदवार बनाया गया तो वह विरोध करेंगे।

नगर पालिका अध्यक्ष मोहम्मद अकरम और कांग्रेस के दलित नेता किशोरी लाल

दोनों नेताओं ने कहा कि रणजीत सिंह रावत के अलावा कांग्रेस पार्टी ने किसी और को उम्मीदवार बनाया तो वह भी नामांकन पर्चा दाखिल करेंगे।

नगर पालिका अध्यक्ष मोहम्मद अकरम ने कहा कि कांग्रेस पार्टी रणजीत रावत को रामनगर से अपना उम्मीदवार जल्द घोषित करे, अगर ऐसा नहीं हुआ तो वह 27 जनवरी को नामांकन पर्चा दाखिल करेंगे।आपको बता दें कि मोहम्मद अकरम चार बार नगर पालिका के अध्यक्ष निर्वाचित हुए हैं।वह लगातार तीन बार से निकाय चुनाव जीतते आ रहे हैं।दूसरे किशोरी लाल का भी अपने समाज के लोगों में गहरा प्रभाव है।इन दोनों नेताओं की बातों को पार्टी नेतृत्व ने गंभीरता से नहीं लिया तो इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता हैं।

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