उत्तराखण्ड
सुंदरखाल पुनर्वास पर हाईकोर्ट सख्त, वन सचिव से 3 सप्ताह में मांगी स्टेटस रिपोर्ट
नैनीताल: हाईकोर्ट ने सुंदरखाल के ग्रामीणों के पुनर्वास और विस्थापन के मामले में उत्तराखंड सरकार से कड़ी नाराजगी जताई है। सुंदरखाल के ग्रामीण 1974 से सरकार से विस्थापन की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई है। इस संबंध में इंडिपेंडेंट मीडिया इनिशिएटिव संस्था द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सरकार से जवाब तलब किया है।
याचिका में कहा गया है कि सरकारों ने 1974 से लगातार लिखित आश्वासन दिए, लेकिन आज तक इन ग्रामीणों का जीवन अंधेरे में है। 2014 में पुनर्वास के लिए कार्ययोजना भी तैयार हुई थी, परंतु वह भी धरातल पर लागू नहीं हो सकी। ग्रामीणों को बिजली और अन्य बुनियादी सुविधाएं नहीं मिली हैं, और वे आज भी जंगली जानवरों के खतरों के बीच जीवन जीने को मजबूर हैं।
हाईकोर्ट ने वन सचिव और मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक से यह सवाल किया है कि अब तक पुनर्वास के लिए क्या-क्या कदम उठाए गए हैं। कोर्ट ने अधिकारियों को 3 सप्ताह में पूरी स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने संकेत दिया है कि यदि आवश्यकता पड़ी तो इस पुनर्वास प्रक्रिया की न्यायिक मॉनिटरिंग भी की जाएगी।
यह मामला सरकार की नीतिगत विफलता को उजागर करता है, जहां वर्षों से आश्वासनों के बावजूद ग्रामीणों की समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं।