उत्तराखण्ड
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से कंडी मार्ग निर्माण की उम्मीदें बढ़ीं, आंदोलनकारियों ने सरकार से तत्काल पहल की मांग की
रामनगर। बहुचर्चित कंडी सड़क निर्माण को लेकर एक बार फिर उम्मीदों के दरवाज़े खुल गए हैं। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा देशभर के सभी राष्ट्रीय अभ्यारणों के लिए एक समान पॉलिसी बनाने के निर्णय को स्थानीय आंदोलनकारियों ने ऐतिहासिक बताते हुए कहा है कि इस आदेश के बाद कंडी मार्ग को आम जनता के लिए खोलने और सड़क निर्माण कार्य शुरू करने की राह अब साफ हो चुकी है।
राज्य निर्माण आंदोलनकारी पीसी जोशी ने पत्रकार वार्ता में बताया कि 17 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने सुनवाई के दौरान देश के सभी नेशनल पार्कों के लिए समान नियम बनाए जाने तथा स्थानीय लोगों के हितों को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए हैं। उनका कहना है कि यह निर्णय उत्तराखंड की उस लंबे संघर्षपूर्ण मांग को मजबूत करता है, जिसमें कुमाऊं से राजधानी देहरादून के लिए सदियों पुराने कंडी मार्ग को पुनः खोलने की अपील की जा रही है।
जोशी ने कहा कि राज्य का दुर्भाग्य रहा है कि सरकार की उदासीनता और तथाकथित पर्यावरणवादियों के हस्तक्षेप के कारण 25 वर्ष बाद भी इस मार्ग को दोबारा बहाल नहीं किया जा सका। परिणामस्वरूप प्रदेशवासियों को आज भी कुमाऊं से देहरादून जाने के लिए यूपी की सीमा से होकर लंबा रास्ता तय करना पड़ता है, जिससे समय, धन और ईंधन—तीनों की भारी बर्बादी होती है। लंबी दूरी के कारण अधिक ईंधन जलने से पर्यावरण भी प्रभावित हो रहा है, जबकि स्थानीय जनता के अधिकारों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
उन्होंने बताया कि पहले कुमाऊं क्षेत्र के लोग कोटद्वार और हरिद्वार की यात्रा के लिए इसी मार्ग का उपयोग करते थे। लेकिन कॉर्बेट नेशनल पार्क के विस्तार के बाद इस मार्ग पर यातायात को वन्यजीव संरक्षण के नाम पर सीमित कर दिया गया और परमिट/पर्ची व्यवस्था लागू की गई, जिसे 2018 में पूरी तरह बंद कर दिया गया। क्षेत्र की जनता इस सड़क को आम यातायात के लिए खोलने की मांग को लेकर कई बड़े आंदोलन भी कर चुकी है, लेकिन संरक्षणवादियों के दबाव के आगे सरकार अब तक झुकती रही है।
आंदोलनकारियों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस ताज़ा आदेश से एक बार फिर उम्मीद जगी है। अब राज्य सरकार को बिना देरी किए जनता की वर्षों पुरानी मांग पर निर्णय लेना चाहिए और कंडी मार्ग निर्माण की पहल शुरू करनी चाहिए।
बैठक में आगामी दिसंबर माह में कुमाऊं और गढ़वाल के सभी आंदोलनकारियों की संयुक्त बैठक बुलाने का निर्णय भी लिया गया। वार्ता के दौरान उपपा नेता प्रभात ध्यानी, कांग्रेस नेता भुवन पांडे, मौ. आसिफ और ललित उप्रेती मौजूद रहे।








