उत्तराखण्ड
रामनगर में देहदान जागरूकता कार्यक्रम में 31 लोगों ने किया मरणोपरांत देहदान का संकल्प
रामनगर (नैनीताल): साइंस फॉर सोसाइटी द्वारा आयोजित एक विशेष देहदान जागरूकता कार्यक्रम में महिलाओं समेत 31 लोगों ने मरणोपरांत देहदान करने का संकल्प लिया और शपथपत्र पर हस्ताक्षर किए। इस कार्यक्रम में अल्मोड़ा, हल्द्वानी, कालाढूंगी, काशीपुर और रामनगर के प्रतिनिधि मुख्य रूप से शामिल हुए।
कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य समाज में देहदान को लेकर फैली भ्रांतियों और गलतफहमियों को दूर करना था। इस अवसर पर डॉक्टर महेंद्र कुमार पंत ने कहा, “देहदान मेडिकल साइंस के लिए रिसर्च में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालांकि, हमारे देश में इसे लेकर जागरूकता की कमी है।” उन्होंने देहदान के महत्व को रेखांकित करते हुए बताया कि मृत शरीर मेडिकल कॉलेजों में छात्रों के अध्ययन और प्रशिक्षण के लिए अत्यंत उपयोगी होता है, जिससे समाज को कुशल डॉक्टर मिलते हैं।
कार्यक्रम के दौरान आयोजित प्रश्न-उत्तर सत्र में डॉक्टर पंत ने बताया कि मृत शरीर को मेडिकल विभाग द्वारा सम्मानपूर्वक स्वीकार किया जाता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि देहदान केवल उन्हीं शरीरों का हो सकता है जो संक्रमण से मुक्त हों और क्षतिग्रस्त न हों।
एनाटॉमी विभाग के डॉक्टर राजेश मौर्य ने जानकारी दी कि मेडिकल साइंस के मानकों के अनुसार 10 छात्रों के अध्ययन के लिए एक मृत देह की आवश्यकता होती है, लेकिन वर्तमान में संसाधनों की कमी के कारण एक देह पर 60 से 70 छात्रों को अध्ययन करना पड़ता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि भारतीय समाज में मृत्यु उपरांत देहदान की परंपरा अभी भी बहुत कम है। हालांकि, ऐसे जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से यह संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है।
साइंस फॉर सोसाइटी के संयोजक मदन मेहता ने देहदान की घोषणा करने वाले सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा, “हमें विश्वास है कि इस तरह के कार्यक्रमों से समाज में देहदान को लेकर अंधविश्वास टूटेगा और जागरूकता बढ़ेगी।”
कार्यक्रम का संचालन उषा पटवाल द्वारा किया गया। इस अवसर पर देहदानी जकाऊल हक और नेत्रदानी गीतिका जोशी को सम्मानित किया गया, जिन्होंने अपने परिवारों की सहमति से मरणोपरांत भी मानव सेवा के लिए योगदान देने का संकल्प लिया।
कार्यक्रम में दिगंबर प्रसाद, दिनेश चंद्र, गिरीश चंद्र, हेमलता तिवारी, केसर राणा, अंजना मेहरा समेत अन्य लोगों ने भी मरणोपरांत देहदान करने की शपथ ली।