उत्तराखण्ड
रामनगर में मुख्यमंत्री के खिलाफ नारेबाजी करने वालों की जानकारी जुटाई जा रही हैँ
रामनगर में मुख्यमंत्री धामी के खिलाफ नारेबाजी पर प्रशासन सख्त, प्रदर्शनकारियों की पहचान जारी
नैनीताल के रामनगर में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के खिलाफ नारेबाजी करने वालों के खिलाफ प्रशासन सख्त कदम उठाने के मूड में नजर आ रहा है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्रशासन वीडियो फुटेज और फोटोग्राफ्स की सहायता से प्रदर्शनकारियों की पहचान कर उनके नाम और पते की जानकारी एकत्रित कर रहा है।
मुख्यमंत्री की नाराजगी ने बढ़ाई प्रशासन की चिंता
सोमवार को रामनगर में मरचूला बस हादसे के घायलों का हाल जानने के लिए मुख्यमंत्री धामी संयुक्त चिकित्सालय पहुंचे थे। अस्पताल के बाहर मौजूद स्थानीय लोग अस्पताल की दुर्व्यवस्थाओं और पीपीपी मोड में किए गए संचालन को लेकर मुख्यमंत्री से बात करना चाहते थे। जब उन्हें मुख्यमंत्री से मिलने का समय नहीं मिला, तो उन्होंने नाराज होकर मुख्यमंत्री के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। इसके बाद, डिग्री कॉलेज के हेलिपैड पर पहुंचते ही मुख्यमंत्री धामी ने इस विरोध प्रदर्शन को लेकर नाराजगी जताई और अधिकारियों के साथ-साथ कुछ स्थानीय बीजेपी नेताओं को भी इस मामले में फटकार लगाई।
प्रशासन एक्शन के मूड में, प्रदर्शनकारियों की पहचान की प्रक्रिया तेज
मुख्यमंत्री की नाराजगी के बाद, प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रदर्शनकारियों के खिलाफ एक्शन लेने का मन बना रखा है। रामनगर के कोतवाल अरुण सैनी ने कहा कि मुख्यमंत्री के सामने इस प्रकार का विरोध प्रदर्शन उचित नहीं था, और प्रदर्शनकारियों को शांति और संयम से अपनी बात रखनी चाहिए थी। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि फिलहाल पुलिस का एफआईआर दर्ज करने का कोई इरादा नहीं है।
क्या हो सकते हैं संभावित एक्शन?
प्रशासन ने संकेत दिया है कि इस तरह के सार्वजनिक विरोध प्रदर्शन के प्रति सख्त कदम उठाए जा सकते हैं, खासकर जब ये किसी उच्च पदस्थ अधिकारी या मुख्यमंत्री के सामने किए गए हों। हालांकि, अभी तक किसी भी प्रदर्शनकारी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की औपचारिक शुरुआत नहीं हुई है, लेकिन प्रदर्शनकारियों की पहचान का कार्य तेजी से चल रहा है। प्रशासनिक अधिकारियों का मानना है कि ऐसे विरोध प्रदर्शन न केवल कानून-व्यवस्था को चुनौती देते हैं बल्कि राज्य के विकास कार्यों में भी बाधा उत्पन्न कर सकते हैं।
जनता की प्रतिक्रिया और प्रशासन की जिम्मेदारी
इस घटना के बाद जनता के बीच भी इस मुद्दे को लेकर विभिन्न प्रतिक्रियाएं देखी जा रही हैं। कुछ लोग प्रशासन की सख्ती को सही मानते हैं, जबकि कुछ का कहना है कि जनता को अपनी समस्याएं और नाराजगी व्यक्त करने का हक है। वहीं, विशेषज्ञों का मानना है कि इस मामले में प्रशासन को संतुलित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए ताकि नारेबाजी जैसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, और साथ ही जनता की आवाज भी सुनी जा सके।
राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज
मुख्यमंत्री के खिलाफ हुए इस विरोध प्रदर्शन ने राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचा दी है। भाजपा और विपक्षी दलों के बीच इसे लेकर तकरार बढ़ गई है। भाजपा नेताओं का मानना है कि यह एक सुनियोजित साजिश हो सकती है, वहीं विपक्ष इसे जनआक्रोश का परिणाम बता रहा है। इस पूरे मामले ने प्रशासन और राजनीतिक दलों के बीच नई चर्चा का सूत्रपात कर दिया है।
क्या होगा आगे?
प्रशासन इस घटना को लेकर सतर्क नजर आ रहा है, और माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई की जा सकती है। हालांकि, अभी तक की जानकारी के अनुसार पुलिस की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, लेकिन स्थिति पर निगरानी बनाए रखी जा रही है।