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उत्तराखण्ड

पीएम के दौरे से पहले सामाजिक संगठनों की पहल, समस्याओं के समाधान के प्रयास में जुटे

पिथौरागढ़। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 11 और 12 अक्टूबर को पिथौरागढ़ का दौरा प्रस्तावित है। इसे लेकर प्रशासन तैयारियों में जुटा हुआ है। इस बीच सामाजिक संगठनों ने भी जिले की समस्याओं के समाधान की पहल तेज कर दी है। ऐसे में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को 11 सूत्रीय ज्ञापन भेजकर प्राथमिकता से इन समस्याओं के समाधान की मांग की गई है।

उत्तराखंड पारंपरिक उत्थान समिति के अध्यक्ष राम सिंह ने कहा है कि जनपद पिथौरागढ़ में 85 प्रतिशत लोग साक्षर हैं। यहां कोई भी विकसित पर्यटन स्थल, उद्योग न होने से बेरोजगारी अत्यधिक है। जिले की आर्थिक हालत बहुत ही खराब है ऐसे में परिवार के भरण पोषण हेतु पलायन ही एक मात्र विकल्प रहता है। ज्ञापन में कहा गया है कि रामेश्वर घाट जनपद पिथौरागढ़, चम्पावत व अल्मोड़ा की सीमा से लगा हुआ है तथा पिथौरागढ़ चम्पावत, जागेश्वर व गंगोलीहाट विधानसभा की सीमा से घिरा हुआ है। पौराणिक दृष्टि से यह स्थान अल्मोड़ा, पिथौरागढ व चम्पावत जिले का बहुत महत्त्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। अल्मोड़ा , काली कुमायू, गंगोली व सोर पिथौरागढ संस्कृति का संगम स्थल भी है। यहां पर स्थानीय उत्पादों का व मवेशियों के व्यापार का केंद्र भी बन सकता है। यदि इस स्थान को विकास किया जाय तो कम से कम दस हजार परिवारों को रोजगार मिलेगा।

कहा गया है कि पिथौरागढ़ के समीप चंडाक व थलकेदार क्षेत्र में रोपवे लगाये जाय। जिससे लगभग पांच सौ लोग रोजगार से जुड़ेंगे। इसके साथ ही टनकपुर से पिथौरागढ़ को यदि रेल लाइन से जोड़ा जाय तो पिथौरागढ़ पर्यटन के क्षेत्र में विश्व स्तरीय पर्यटन केंद्र बन सकता है। पिथौरागढ़ जिले के आदि कैलाश, ॐ पर्वत, पाताल भुवनेश्वर आदि पौराणिक रूप से बहुत महत्त्वपूर्ण है। यदि इन क्षेत्रों को आपस में अच्छी सड़को से जोड़ा जाय तो बहुत से परिवारों को रोजगार मिलेगाI पिथौरागढ़ जनपद में आयुर्वेद (जड़ी बूटी ) का अथाह भण्डार है यदि यंहा पर एक आयुर्वेद अनुसंधान केंद्र खोल दिया जाय तो स्थानीय लोगो को एक बेहतरीन रोजगार मिल सकता है सीमान्त किसानो को यदि इन उत्पाद की जानकारी होगी तो उनको उत्पाद की कीमत मिलेगी लगभग पूरा जनपद इस रोजगार से जुड़ेगा। इतना ही नहीं हवाई सेवा अब जरूरत बन गयी है। यहां स्वास्थ्य सुविधा सही न होने से मरीज को हल्द्वानी, बरेली दिल्ली आदि स्थानों पर आपात काल में ले जाना पड़ता है। नियमित हवाई सेवा पिथौरागढ़– पन्तनगर – दिल्ली की शुरू करने की आवश्यकता है।

ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि पिथौरागढ़ जिले को पौराणिक गुफाओं का शहर भी कहा जाता है। जिला मुख्यालय के चारों तरफ पौराणिक महत्व की गुफाये हैं, जो शहर के बाहरी क्षेत्र में है। यदि इन गुफाओं को सौन्दर्यीकरण कर एक रिंग रोड के माध्यम से जोड़ा जाय तो यह पर्यटकों को बहुत आकर्षित लगेगा व स्थानीय लोगों को भी पूजा पाठ करने में आसानी होगी। पिथौरागढ़ से आदि कैलाश व कैलाश मानसरोवर की यात्रा शुरू हो चुकी है यात्रा में जो भी लोग जाते हैं, उनका पहला पड़ाव पिथौरागढ़ मुख्यालय में रखा जाय। जिससे तीर्थ यात्रियों को पिथौरागढ़ के बारे में जानकारी होगी व होटल व्यवसाय बढेगा। स्थानीय उत्पादों को बाजार मिलेगा तथा कई लोग रोजगार से जुड़ेंगे। अभी जितने भी निजी टूर संचालक हैं, वह सीधे काठगोदाम से धारचूला व गूंजी में तीर्थ यात्रियों का प्रवास कराते हैं। जिससे एक साथ लम्बी यात्रा व अनुकूल मौसम न मिलने की वजह से बहुत से तीर्थ यात्री बीमार पड़ जाते हैं। ऐसे में वह या तो आधे रास्ते से ही वापस आ जाते हैं या फिर जान गंवा देते हैं। इससे हमारे जनपद व हमारे तीर्थ स्थल की बदनामी होती है। काठगोदाम या टनकपुर के बाद पहला पड़ाव सभी तीर्थ यात्रियों का पिथौरागढ़ हो दूसरा धारचुला/गुंजी में हो ताकि उनकी यात्रा सुगम हो सके।

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