उत्तराखण्ड
पत्रकारों को नोटिस भेजने के मामले के बाद CM की अधिकारियों को नसीहत!
देहरादून के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकारों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात कर नैनीताल जनपद में पत्रकारों के खिलाफ जारी किए गए नोटिसों का मामला उठाया ।इस मुलाकात ने सरकार के अधिकारी के उस तानाशाही रवैये को भी उजागर किया है, जो लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया को दबाने की साजिश रच रही थी।
नैनीताल के एसएसपी प्रहलाद नारायण मीणा द्वारा पत्रकारों को नोटिस भेजना सीधे-सीधे मीडिया की आजादी पर हमला था। मुख्यमंत्री धामी ने इस मामले में ‘कृपा’ करते हुए कार्रवाई की और नोटिस वापस लेने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान यह सफाई देने की कोशिश की कि उनकी सरकार मीडिया को सम्मान देती है और अधिकारियों को मीडिया से संवाद बनाए रखने के निर्देश दिए हैं। लेकिन सवाल उठता है कि क्या यह निर्देश केवल दिखावे के लिए हैं? क्योंकि जिस तरह से पत्रकारों को दबाव में लेने की कार्रवाई की गई, वह साफ तौर पर सरकार की असहिष्णुता को दर्शाता है।
मुख्यमंत्री ने इस बात का भी भरोसा दिलाया कि भविष्य में इस तरह की घटनाएं नहीं होंगी। लेकिन यह आश्वासन तब तक खोखला है जब तक सरकार और उसके अधिकारी पत्रकारों के प्रति अपने रवैये में सुधार नहीं लाते।
इस मुलाकात में पत्रकारों के प्रतिनिधि मंडल में सुरेंद्र डसीला, अवधेश नौटियाल, मनीष डंगवाल, ध्रुव मिश्रा, सुदीप जैन, पंकज पंवार, अभय कैंतुरा, सौरभ भाटिया, अंकित शर्मा, हर्ष उनियाल, संदीप बडोला और अन्य पत्रकार शामिल थे।