उत्तराखण्ड
“फईम हत्याकांड” में हाईकोर्ट का बड़ा एक्शन – इंस्पेक्टर नीरज भाकुनी का तबादला जिले से बाहर, SIT जांच के आदेश, हाईकोर्ट खुद करेगा मॉनिटरिंग
“फईम हत्याकांड” में हाईकोर्ट का बड़ा एक्शन – इंस्पेक्टर नीरज भाकुनी का तबादला जिले से बाहर, SIT जांच के आदेश, हाईकोर्ट खुद करेगा मॉनिटरिंग
नैनीताल।हल्द्वानी
बनभूलपुरा हिंसा के दौरान गोली लगने से मारे गए फईम की मौत पर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बेहद सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारी नीरज भाकुनी का जिले से बाहर तबादला करने और केस की जांच स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) से कराने का आदेश दिया है। सबसे अहम बात – इस पूरे केस की मॉनिटरिंग अब खुद हाईकोर्ट करेगा।
मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक कुमार मेहरा की खंडपीठ ने यह फैसला फईम के भाई परवेज द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए सुनाया। याचिका में मामले की सीबीआई जांच और परिवार को सुरक्षा देने की मांग की गई थी।
कोर्ट ने उठाए गंभीर सवाल – “जांच अधिकारी खुद आरोपी, खुद जज!”
हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि यह मामला बेहद असामान्य है, जहां एक ही अधिकारी न केवल मामले की जांच कर रहा है बल्कि अंतिम रिपोर्ट भी वही पेश कर रहा है। न्यायालय ने कहा, “यह अपने आप में एक अनोखी जांच है। हत्या जैसे गंभीर मामले में जांच की पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं।”
अब तक पुलिस ने नहीं की जांच, न ही दर्ज किया था मुकदमा
याचिकाकर्ता परवेज के मुताबिक, 8 फरवरी 2024 को बनभूलपुरा हिंसा के दौरान उसके भाई फईम की गोली लगने से मौत हुई थी। परिवार ने प्रशासन और पुलिस से बार-बार न्याय की गुहार लगाई, लेकिन पुलिस ने न तो मुकदमा दर्ज किया और न ही कोई जांच शुरू की।
थक-हारकर परवेज ने नैनीताल के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत का दरवाजा खटखटाया। अदालत ने 6 मई 2024 को पुलिस को अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच करने और रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया। लेकिन, अब तक न तो एफआईआर दर्ज हुई, न ही जांच शुरू हुई।
हाईकोर्ट का सख्त संदेश – अब होगी निष्पक्ष जांच, SIT को सौंपा मामला
कोर्ट ने साफ कहा कि अब इस मामले की जांच SIT करेगी और इंस्पेक्टर नीरज भाकुनी, जो उस समय बनभूलपुरा थाने में तैनात थे, को जिले से बाहर ट्रांसफर किया जाए ताकि निष्पक्षता बनी रहे। साथ ही हाईकोर्ट खुद इस जांच की निगरानी करेगा।
फईम की मौत हिंसा से नहीं, ‘अज्ञात गोलीबारी’ से हुई – परवेज का दावा
याचिका में परवेज ने यह भी कहा कि उसके भाई फईम की मौत हिंसा के दौरान नहीं, बल्कि अज्ञात लोगों की गोली लगने से हुई थी। इस रहस्यमयी मौत पर अब तक कोई गंभीर जांच नहीं हुई। याचिकाकर्ता ने अपने परिवार को सुरक्षा देने की भी गुहार लगाई है, जिस पर भी अदालत गंभीर है।
अब सवाल यह – इतने महीनों तक पुलिस क्यों रही चुप?
इस मामले ने उत्तराखंड पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जब कोर्ट से निर्देश मिले थे, तब भी पुलिस ने जांच क्यों नहीं की? क्या मामले को दबाया जा रहा था? और अगर हां, तो किसके इशारे पर?
जब जांच अधिकारी खुद सवालों के घेरे में हो, तो इंसाफ की उम्मीद कैसे की जा सकती है? फईम की मौत एक सामान्य ‘कोलैटरल डैमेज’ नहीं है, बल्कि किसी की लापरवाही, साजिश या छुपी हुई सच्चाई का नतीजा है।
अब जब हाईकोर्ट ने सख्त तेवर अपनाए हैं, तो उम्मीद है कि फईम को इंसाफ मिलेगा, और सिस्टम में बैठे वे लोग बेनकाब होंगे जो न्याय को दबा रहे थे।







