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उत्तराखण्ड

अतिक्रमण के खिलाफ दायर याचिका पर कोर्ट ने की सुनवाई, ,कागजात पेश करने का इतने दिनों का दिया समय

रेलवे की 29 एकड़ भूमि के अतिक्रमण वाले मामले में एक बार फिर से हाईकोर्ट ने कागजात कोर्ट के सामने पेश करने का एक मौका दिया है बता दें कि नैनीताल हाईकोर्ट ने हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण के विरुद्ध दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। न्यायाधीश न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने कहा कि, जो लोग इससे प्रभावित हैं। वह दो सप्ताह के भीतर अपना पक्ष समस्त कागजात के साथ कोर्ट में पेश कर सकते है। इस सम्बंध में कोर्ट ने हाईकोर्ट की रजिस्ट्री को आदेश दिए है कि दो प्रचलित समाचार पत्रों में एक पब्लिक नोटिस शीघ्र प्रकाशित करें। अगली सुनवाई को दो सप्ताह बाद की तिथि नियत की है।

हाई कोर्ट ने 9 नवम्बर 2016 को हल्द्वानी के रविशंकर जोशी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए 10 सप्ताह के भीतर रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि जितने भी अतिक्रमणकारी है, उनको रेलवे पीपीएक्ट के तहत नोटिस देकर जन सुनवाई करें।

रेलवे की तरफ से कहा गया कि हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण किया गया है, करीब 4365 परिवार मौजूद है। हाईकोर्ट के आदेश पर इनको पीपीएक्ट में नोटिस दिया गया। जिसकी रेलवे ने पूरी सुनवाई कर ली है। किसी भी व्यक्ति के पास जमीन के वैध कागजात नही पाए गए। इनको हटाने के लिए रेलवे ने जिलाधिकारी नैनीताल से दो बार सुरक्षा दिलाए जाने हेतु पत्र दिया गया।

दिसम्बर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यो को दिशा निर्देश दिए थे कि अगर रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण किया गया है तो पटरी के आसपास रहने वाले लोगो को दो सप्ताह और उसके बाहर रहने वाले लोगो को 6 सप्ताह के भीतर नोटिस देकर हटाएं ताकि रेवले का विस्तार हो सके। इन लोगो को राज्य में कहीं भी बसाने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन व राज्य सरकारों की होगी। अगर इनके सभी पेपर वैध पाए जाए है तो राज्य सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत इनको आवास मुहैया कराएं। जिला प्रशासन की ओर से अतिक्रमण हटाने के लिए रेलवे को पूरा प्लान दिया जा चुका है।

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