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उत्तराखण्ड

“धरने की चिंगारी अब ज्वाला बनेगी, जब तक दुकान हटेगी नहीं, हर आवाज़ सवाल बनेगी!”

पाटकोट रोड पर शराब की दुकान के खिलाफ महिलाओं का आंदोलन पहुंचा 47वें दिन, उठे सवाल—कहीं फिर से छलावा तो नहीं?

रामनगर।
पाटकोट रोड पर शराब की दुकान के खिलाफ जारी महिलाओं का संघर्ष अब जनआंदोलन का रूप ले चुका है। शनिवार को यह धरना अपने 47वें दिन में प्रवेश कर गया, लेकिन प्रशासन की सुस्ती ने सवाल खड़े कर दिए हैं। महिलाओं का कहना है कि उत्तराखंड के आबकारी आयुक्त द्वारा यह साफ-साफ लिखित आदेश जारी किया गया था कि जिस स्थान पर स्थानीय जनता शराब की दुकान का विरोध कर रही है, वहां दुकान को पूर्ण रूप से बंद किया जाएगा और उसका लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा।

लेकिन हकीकत क्या है?
धरने पर बैठी महिलाओं का गुस्सा अब सवालों में तब्दील हो रहा है। आंदोलनकारियों ने पूछा कि आदेश जारी हुए तीन दिन बीत चुके हैं, फिर भी अभी तक न तो किसी भी माध्यम से निरस्त की गई दुकानों की कोई सूची जारी की गई है, और न ही कोई आधिकारिक पुष्टि। महिलाएं पूछ रही हैं कि इस प्रक्रिया में इतनी देरी क्यों? क्या ये आदेश भी सिर्फ लोगों को चुप कराने की एक और चाल है?

‘हम नहीं हटेंगे, जब तक सूची में पाटकोट रोड का नाम नहीं’
धरने में डटी महिलाओं ने एक स्वर में ऐलान किया कि जब तक पाटकोट रोड की शराब दुकान का नाम निरस्तीकरण की आधिकारिक सूची में नहीं आ जाता, तब तक वे धरना खत्म नहीं करेंगी। उन्होंने यह भी कहा कि अगर प्रशासन इस बार भी उन्हें गुमराह करता है, तो इसका जवाब जनआंदोलन की शक्ल में दिया जाएगा।

धरना स्थल पर कविता, मंजू, विमला, हेमा, चंपा, गुड्डी, हिमानी, पूजा, कमला, मोहिनी बचुली, हंसी, प्रभावती, नेहा सहित बड़ी संख्या में महिलाएं मौजूद रहीं।

अब जनता देख रही है कि सरकार अपने ही आदेशों पर कितनी अमल करती है।
इस आंदोलन ने साफ कर दिया है कि अब जनता सिर्फ आश्वासनों से नहीं मानेगी। सरकार को जवाब देना होगा—आखिर सूची कहां है? कब आएगी? और अगर नहीं आई, तो क्या यह मान लिया जाए कि जनता के विरोध को सिर्फ दिखावे के आदेशों से शांत करने की कोशिश की जा रही है?

(एटम बम न्यूज, रामनगर)

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