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उत्तराखण्ड

उत्तराखंड में नशे पर वार की बड़ी बैठक, लेकिन सवालों से घिरा सिस्टम

उत्तराखंड में नशे पर वार की बड़ी बैठक, लेकिन सवालों से घिरा सिस्टम

देहरादून, 04 सितम्बर 2025।
राजधानी में गुरुवार को सचिवालय में राज्य स्तरीय नारकोटिक्स को-ऑर्डिनेशन (NCORD) बैठक हुई। बैठक की अगुवाई मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने की। इस दौरान ड्रग्स के खिलाफ जिलों की कार्यवाही की समीक्षा की गई और नई रणनीतियों पर चर्चा हुई।

बैठक में जिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए कि वे हर महीने जनपद स्तर पर एनसीओआरडी बैठकें करें। ड्रग्स पर रोक के लिए समितियों और नोडल अधिकारियों की सूची साझा करने, स्कूलों के आसपास संवेदनशील इलाकों की पहचान कर सीसीटीवी लगाने और लगातार गिरफ्तारियां करने पर जोर दिया गया। इसके साथ ही सरकारी नशा मुक्ति केंद्रों को सक्रिय करने और नारकोटिक्स रूट मैप पर विशेष अभियान चलाने की बात कही गई।

सख्त निर्देश दिए गए कि ड्रग्स के कारोबार में शामिल लोगों पर कड़ी कार्रवाई हो, और PITNDPS एक्ट के तहत मामलों को मज़बूती से पेश किया जाए। बैठक में यह भी तय हुआ कि नेटवर्क आइडेंटिफिकेशन पर सभी एजेंसियां मिलकर काम करेंगी।

हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब ऐसे आदेश जारी हुए हों। सवाल यह है कि जब हर साल बैठकें और बड़े-बड़े फैसले होते हैं, तो फिर सड़कों पर नशा इतनी तेज़ी से क्यों फैल रहा है? कॉलेज कैंपस से लेकर मोहल्लों तक स्मैक, चरस और नशे की गोलियों का खेल खुलेआम क्यों जारी है? क्या सिर्फ बैठकों और सीसीटीवी कैमरों से ड्रग माफिया की जड़ें काटी जा सकेंगी?

बैठक में गृह सचिव शैलेश बगौली, एडीजी अभिनव कुमार, एडीजी वी. मुरुगेशन, आईजी नीलेश आनंद भरणे, अपर सचिव गृह निवेदिता कुकरेती समेत कई अधिकारी मौजूद रहे। लेकिन हकीकत यह है कि अगर धरातल पर कार्रवाई नहीं हुई तो यह बैठकें कागज़ी खानापूरी से ज़्यादा कुछ साबित नहीं होंगी।

👉 नशे पर सवाल वही हैं:

  • पकड़ में छोटे स्मैकिये आते हैं, बड़े सप्लायर कहाँ गायब हो जाते हैं?
  • हर बार “जागरूकता अभियान” का नारा क्यों दोहराया जाता है, असल सख्ती क्यों नहीं दिखती?
  • जब सरकार खुद नशा मुक्त केंद्र चलाने की बात कर रही है, तो क्या यह मौजूदा सिस्टम की नाकामी की पोल नहीं खोलता?

नशे के खिलाफ असली जंग सिर्फ मीटिंग रूम में नहीं, बल्कि सड़कों और गलियों में जीतनी होगी। वरना बैठकों के फैसले ड्रग माफिया के लिए किसी मज़ाक से कम नहीं रहेंगे।

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