उत्तराखण्ड
अराजकता और सांप्रदायिक तनाव पर लगाम लगाने की मांग को लेकर डीजीपी को भेजा गया ज्ञापन
रामनगर से जन संगठनों ने की फास्ट ट्रैक कोर्ट, गिरफ्तारी और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुपालन की मांग
रामनगर (नैनीताल)। नैनीताल में हाल ही में एक नाबालिग बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म के मामले को लेकर उपजे जन आक्रोश और उसके बाद प्रदेश में फैले सांप्रदायिक तनाव को लेकर रामनगर क्षेत्र के जन संगठनों ने सोमवार को कोतवाली प्रभारी निरीक्षक के माध्यम से उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक को एक ज्ञापन भेजा। ज्ञापन में दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए कानून व्यवस्था बनाए रखने को लेकर कई ठोस सुझाव भी दिए गए हैं।
ज्ञापन में प्रमुख मांग की गई है कि नैनीताल दुष्कर्म प्रकरण की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में कराई जाए, ताकि पीड़िता को शीघ्र न्याय मिल सके। साथ ही घटना के बाद प्रदेश भर में हिंसा, तोड़फोड़, गाली-गलौच और सांप्रदायिक हमले करने वाले अराजक व असामाजिक तत्वों के खिलाफ नामजद मुकदमे दर्ज कर उन्हें तत्काल गिरफ्तार किया जाए।
जन संगठनों ने यह भी मांग की है कि अल्पसंख्यक समुदाय को पूर्ण सुरक्षा दी जाए और पुलिस प्रशासन के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति को किसी की आईडी जांचने या पूछताछ करने की अनुमति न दी जाए। ज्ञापन में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा हेट स्पीच के मामलों में पुलिस को स्वतः संज्ञान लेकर एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं, जिनका अनुपालन सुनिश्चित किया जाए। इसके अलावा आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चलाने जैसे गैरकानूनी कृत्यों पर भी सर्वोच्च न्यायालय द्वारा लगाई गई रोक का पालन करने की मांग की गई है।
ज्ञापन में उल्लेख किया गया कि अप्रैल माह में नैनीताल में 72 वर्षीय आरोपी मोहम्मद उस्मान द्वारा नाबालिग बच्ची के साथ किए गए दुष्कर्म की घटना ने पूरे उत्तराखंड को झकझोर दिया है। हालांकि आरोपी को 1 मई को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया, लेकिन इस घटना को कुछ संगठनों द्वारा सांप्रदायिक रंग देकर सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश की गई।
ज्ञापन में आरोप लगाया गया कि भाजपा और आरएसएस से जुड़े कुछ अराजक तत्वों ने महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर जुलूस निकाल कर अल्पसंख्यक समुदाय की दुकानों और घरों पर हमला किया, गालियां दीं और हिंसा फैलाई। यहां तक कि नैनीताल थाने में घुसकर एक अल्पसंख्यक पुलिस अधिकारी पर भी हमला किया गया, लेकिन पुलिस मूकदर्शक बनी रही।
संगठनों ने यह भी आरोप लगाया कि अब इन तत्वों द्वारा एक सुनियोजित तरीके से पूरे उत्तराखंड में अराजकता फैलाने का प्रयास किया जा रहा है। अल्पसंख्यकों की दुकानों को बंद कराया जा रहा है और उनसे जबरन आईडी दिखाने की मांग की जा रही है, जो संविधान और कानून के खिलाफ है।
ज्ञापन में पुलिस प्रशासन पर आरोप लगाया गया कि वह सत्तारूढ़ दल से जुड़े संगठनों को खुली छूट दे रहा है, जिससे आमजन का कानून-व्यवस्था से भरोसा उठता जा रहा है और समाज में भय का माहौल बनता जा रहा है।
इस ज्ञापन पर समाजवादी लोक मंच के मुनीष कुमार, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के प्रभात ध्यानी, इंकलाबी मजदूर केंद्र के रोहित रुहेला, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की तुलसी छिंमवाल, महिला एकता मंच की सरस्वती और कौशल्या, किसान संघर्ष समिति के महेश जोशी और राजेन्द्र, टी. के. खान, मौ. आसिफ, उबैदुल हक, बीडी नैनवाल और जमनराम सहित कई अन्य लोगों ने हस्ताक्षर कर समर्थन जताया।




