Connect with us

उत्तराखण्ड

“पहाड़ी साले” बोलकर फंस गए मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल, आखिरकार इस्तीफा देकर ही बनी बात!

“पहाड़ी साले” बोलकर फंस गए मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल, आखिरकार इस्तीफा देकर ही बनी बात!

देहरादून। उत्तराखंड की राजनीति में भूचाल ला देने वाले बयान के बाद आखिरकार विधानसभा और संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल को इस्तीफा देना ही पड़ा। बीते दिन विधानसभा में उनके द्वारा बोले गए “पहाड़ी साले” शब्द ने पूरे प्रदेश में बवाल खड़ा कर दिया था। खासतौर पर गढ़वाल में इस टिप्पणी के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन हो रहे थे। लेकिन सवाल ये है कि ये इस्तीफा मंत्री ने खुद दिया या सरकार ने जबरन दिलवा दिया?

पहाड़ की आस्था को चोट, जनता ने दिखाया दम!

उत्तराखंड के पहाड़ी लोगों को ‘साले’ कहने का मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल का बयान जनता को गहरे तक आहत कर गया। गढ़वाल और कुमाऊं दोनों जगहों पर इस बयान के खिलाफ लोग सड़क पर उतर आए। धामी सरकार के खिलाफ आक्रोश इस कदर था कि गढ़वाल में कई जगह प्रेमचंद अग्रवाल के पुतले फूंके गए और विरोध-प्रदर्शन उग्र होता चला गया।

सरकार का बढ़ता संकट, मजबूरी में लिया फैसला?

प्रेमचंद अग्रवाल का इस्तीफा अचानक नहीं हुआ, बल्कि सरकार पर बढ़ते दबाव का नतीजा है। जनता में गुस्सा बढ़ता देख बीजेपी की धामी सरकार भी असहज हो गई। पहले तो सरकार ने मामले को हल्के में लेने की कोशिश की, लेकिन जब सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक मंत्री के खिलाफ ‘गद्दी छोड़ो’ आंदोलन छिड़ गया, तब जाकर इस्तीफे की स्क्रिप्ट लिखी गई।

स्वेच्छा से या मजबूरी में इस्तीफा?

प्रेमचंद अग्रवाल ने इस्तीफा भले ही दिया हो, लेकिन ये स्पष्ट नहीं है कि उन्होंने खुद नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दिया या फिर हाईकमान ने उन्हें मजबूर कर दिया। बीजेपी के अंदरखाने की खबरें कहती हैं कि पार्टी आलाकमान भी इस विवाद से बेहद नाराज था और इसीलिए “डैमेज कंट्रोल” के लिए इस्तीफा लेना पड़ा।

पहाड़ी अस्मिता के आगे झुकी सत्ता!

प्रेमचंद अग्रवाल का इस्तीफा यह साबित करता है कि उत्तराखंड में पहाड़ी अस्मिता से खिलवाड़ करना किसी भी नेता के लिए महंगा साबित हो सकता है। बीजेपी ने भले ही ये कदम जनता का गुस्सा शांत करने के लिए उठाया हो, लेकिन इस प्रकरण ने एक बार फिर यह दिखा दिया कि जब उत्तराखंड का पहाड़ अपने सम्मान की लड़ाई पर उतर आता है, तो सत्ता भी घुटने टेक देती है।

अब देखना होगा कि बीजेपी इस इस्तीफे के बाद नुकसान की भरपाई कैसे करेगी और क्या इस विवाद का असर आने वाले चुनावों में भी देखने को मिलेगा?

More in उत्तराखण्ड

Trending News

संपादक –

नाम: खुशाल सिंह रावत
पता: भवानीगंज, रामनगर (नैनीताल)
दूरभाष: 9837111711
ईमेल: [email protected]

You cannot copy content of this page