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उत्तराखण्ड

“नो बेल → अब होगी जेल! हाई कोर्ट ने BJP नेता मदन जोशी को राहत देने से किया इनकार”

रामनगर मांस प्रकरण: मुख्य आरोपी मदन जोशी को हाईकोर्ट से बड़ा झटका 

रामनगर। बहुचर्चित मांस प्रकरण में मुख्य आरोपी व भाजपा के पूर्व नगर अध्यक्ष मदन जोशी को सोमवार को हाई कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली। वरिष्ठ अधिवक्ता साहू द्वारा की गई पैरवी के बाद भी अदालत ने अंतिम (Regular Bail) और अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail) — दोनों याचिकाएँ खारिज कर दीं

कोर्ट का सख्त रुख: “कानून को धता बताने का प्रयास, बिल्कुल स्वीकार नहीं”

सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष ने एक बार फिर मामले को सागर मनराल की ओर मोड़ने की कोशिश की, लेकिन कोर्ट ने साफ कहा—
“आरोपी बार-बार याचिकाएँ दायर कर खुद को कानून से ऊपर दिखाने का प्रयास कर रहा है, यह किसी भी हाल में स्वीकार नहीं।”

इसके साथ ही अदालत ने स्पष्ट कर दिया कि कानून से भागने का खेल अब और नहीं चलने दिया जाएगा।

पहले भी फटकार खा चुके हैं मदन जोशी

इससे पहले जोशी की ओर से दर्ज एफआईआर को चुनौती देने वाली सभी याचिकाएँ भी अदालतें खारिज कर चुकी हैं। अब आज फिर हाई कोर्ट के कड़े रूख ने उनकी मुश्किलें कई गुना बढ़ गई हैं।

पुलिस पर भी सख्त टिप्पणी — CDR और विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के निर्देश

अदालत ने पुलिस को मामले में तेजी दिखाने को कहा है।

  • मदन जोशी की पूरी कॉल डिटेल (CDR) कोर्ट में पेश करने के निर्देश
  • लोकेशन और कॉल रिकॉर्ड की जांच पर अब तक उठाए गए कदमों पर विस्तृत शपथपत्र तलब
  • कोर्ट का संकेत—अब जांच और तेज होगी

सभी तर्क खारिज — कोई अंतरिम राहत भी नहीं

वरिष्ठ अधिवक्ता साहू ने बचाव में व्यापक तर्क रखे, लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि जोशी को किसी भी तरह की राहत देने का कोई आधार नहीं बनता।

कानूनी विशेषज्ञ — “अब सरेंडर कर कानून का सम्मान करें”

कानूनी जानकारों का कहना है —
“मदन जोशी लगातार गिरफ्तारी से बचने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसा व्यवहार किसी भी अदालत की नजर में उन्हें कानून का सम्मान न करने वाले व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत करता है। अब उन्हें खुद को कानून के हवाले कर बेगुनाही साबित करनी चाहिए।”

गौरतलब है कि मदन जोशी की गिरफ्तारी न होने से इसी मामले में जेल में बंद अन्य आरोपियों की जमानत भी प्रभावित हो रही है।

फरार रहने से बड़ा सवाल — डर किस बात का?

मदन जोशी लगातार पुलिस और कोर्ट से बचने की कोशिश कर रहे हैं।
इसका सीधा संकेत एक ही है—
क्या वाकई उन्हें कानून से इतना डर है?

रामनगर के लोग भी अब यही सवाल पूछ रहे हैं कि—
“कानून को चुनौती देने वाले, फरार घूम रहे मदन जोशी आखिर कब कानून के सामने सिर झुकाएँगे?”

अब पूरा मामला हाई-प्रोफाइल बन चुका है और अगली कार्रवाई पर नज़रें टिकी हैं।

 

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संपादक –

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