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उत्तराखण्ड

अब राजनीति में भी ‘बाबा फैक्टर’ का जलवा — संतों के आशीर्वाद से धामी बने ‘धर्म-संरक्षक’, विरोधियों के सपने में लगी आग!

अब राजनीति में भी ‘बाबा फैक्टर’ का जलवा — संतों के आशीर्वाद से धामी बने ‘धर्म-संरक्षक’, विरोधियों के सपने में लगी आग!

देहरादून।
उत्तराखंड की राजनीति में आज अध्यात्म का ‘पावर बूस्टर’ लग गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ऐसा आशीर्वाद मिला है कि अब विरोधियों के सारे ‘परिवर्तन के सपने’ शायद अगले जन्म में ही पूरे हों।

मुख्यमंत्री आवास बुधवार को किसी आश्रम से कम नहीं दिखा — एक तरफ बागेश्वर धाम के पर्ची बाबा धीरेंद्र शास्त्री थे, तो दूसरी ओर कथावाचक जया किशोरी मुस्कुरा रहीं थीं। पतंजलि के ब्रांड आचार्य बालकृष्ण भी ‘स्वदेशी आशीर्वाद’ देने पहुंचे थे। ऊपर से डॉ. कुमार विश्वास का साहित्यिक तड़का — पूरा माहौल आध्यात्मिक ‘रिचार्ज स्टेशन’ बन गया।

संत समाज ने धामी को “देवभूमि का धर्म-संरक्षक” बताते हुए ऐसा आशीर्वाद दिया कि लगता है अब राजनीति की गंगा में भी ‘मोक्ष गारंटी योजना’ शुरू हो गई है।


🕉️ आध्यात्मिक PR का मास्टरक्लास

राज्य स्थापना की रजत जयंती पर यह संगम कुछ ऐसा रहा मानो चुनावी रणनीति और प्रवचन एक साथ लिखे जा रहे हों।
संतों ने धामी के “संस्कृति-संरक्षण” की तारीफ में मंत्रोच्चार किया और साथ में यह भी घोषित कर दिया —
“कुर्सी स्थिर रहे, भक्त निडर रहे!”

विरोधियों ने भले ही दिल्ली दरबार के दर्शन किए हों, पर धामी ने सीधे ‘धर्म दरबार’ में हाजिरी लगाई है। और जब संतों का OTP वेरिफाइड आशीर्वाद मिल जाए, तो सत्ता की सुरक्षा किसी ‘Z+’ से कम नहीं रहती।


🙏 कुम्भ-2027: संतों के साथ सरकार भी स्नान को तैयार

बात सिर्फ आशीर्वाद तक नहीं रुकी। संतों ने यह भी एलान कर दिया कि हरिद्वार का कुम्भ-2027 “भव्य, दिव्य और विश्वस्तरीय” होगा।
अब इसका मतलब यह निकला कि सरकार नाले साफ़ करेगी, संत स्वर्ग से WiFi कनेक्शन देंगे!


✍️ जया किशोरी, धीरेंद्र शास्त्री और बालकृष्ण — ‘तीन धर्मा, एक धामी’!

कहा जा सकता है कि आज का दिन “धर्म-सम्मेलन” से ज़्यादा “धामी-प्रमाणन” था।
कहीं जया किशोरी का मधुर प्रवचन, कहीं बालकृष्ण की स्वदेशी मुस्कान, और बीच में पर्ची बाबा का गूढ़ भविष्यफल —
“मुख्यमंत्री की कुर्सी स्थिर, विपक्षी होंगे अस्थिर!”


🕶️ विरोधियों को सन्देश — अब तर्क नहीं, तप चाहिए!

जो लोग धामी को हटाने के सपने देख रहे थे, उनके लिए यह सभा किसी ‘राजनीतिक तिलक’ से कम नहीं।
अब मुकाबला केवल चुनावी रैलियों का नहीं रहेगा,
बल्कि कौन ज़्यादा ‘आशीर्वाद लायक’ है — इसकी भी परीक्षा होगी।


🌄 उत्तराखंड: अब विकास भी, भक्ति भी!

संत समाज ने कहा कि “मुख्यमंत्री धामी ने देवभूमि की आत्मा को सहेजा है।”
अब लगता है उत्तराखंड में GDP का मतलब होगा — “गौ, धर्म और पर्व”!
राजनीति और अध्यात्म का यह संगम इतना मजबूत है कि विपक्ष को अब शायद अपने लिए कोई ‘कुंडली विशेषज्ञ’ ढूंढना पड़ेगा।

मुख्यमंत्री धामी अब सिर्फ एक राजनेता नहीं, बल्कि ‘आशीर्वाद ब्रांड’ बन चुके हैं।
संतों के साथ उनका गठबंधन ऐसा है जिसे न तो कोर्ट चुनौती दे सकता है, न वोट बैंक तोड़ सकता है।
अब देखना यह है कि देवभूमि की राजनीति में अगला कदम क्या होगा —
मंत्रिपरिषद या मानसरोवर यात्रा?


By: Atom Bomb News Desk
“जहाँ खबर का असर हो, वहाँ हम मौजूद हैं — बाकी सब ‘प्रवचन’ है।”

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