उत्तराखण्ड
तमंचे के दम पर रील बनाकर शेर बनने चले थे, दून पुलिस ने बना दी रेल
तमंचे के दम पर रील बनाकर शेर बनने चले थे, दून पुलिस ने बना दी रेल
देहरादून – सोशल मीडिया पर सस्ते स्टार बनने का खुमार अब सलाखों के पीछे उतरेगा। इंस्टाग्राम पर वायरल होने के लिए अवैध तमंचे से फायरिंग कर रील बनाने वाले तीन युवकों को दून पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। खुद को गैंगस्टर दिखाने का शौक इन सिरफिरे लड़कों पर इतना हावी था कि उन्होंने छिद्दरवाला फ्लाईओवर के नीचे खुलेआम गोलियां दागीं और वीडियो अपलोड कर दिया। लेकिन सोशल मीडिया की यह ठसक ज्यादा देर टिक नहीं पाई, क्योंकि पुलिस ने उनकी ‘वायरल’ चाहत को जेल की चारदीवारी में कैद कर दिया।
कौन हैं ये ‘सोशल मीडिया गैंगस्टर’?
गिरफ्तार आरोपियों की पहचान इस तरह हुई –
- दीपक पुत्र रामू, निवासी छिद्दरवाला रायवाला, उम्र 22 साल
- भूपेंद्र उर्फ भूरे पुत्र स्व. राजू, निवासी रावली, बिजनौर (UP), फिलहाल रामू की पकौड़े की दुकान पर काम करता था, उम्र 23 साल
- दीपांशु कुमार पुत्र महिपाल, निवासी गन्ना सेंटर छिद्दरवाला, उम्र 21 साल
पुलिस की जांच में खुलासा हुआ कि दीपक ही असली ‘डीलर’ निकला। उसने सहारनपुर से दो अवैध तमंचे खरीदे और फिर अपने चचेरे भाई दीपांशु व पकौड़े वाले नौकर भूपेंद्र उर्फ भूरे को पकड़ाकर ‘शोऑफ’ करने का मौका दे दिया।
तमंचे से बना ‘कॉन्टेंट’
वीडियो में दीपक फायरिंग करता दिखा, जबकि दीपांशु तमंचा लहराकर धौंस जमाने की कोशिश कर रहा था। भूपेंद्र भी तमंचे की नुमाइश करता नजर आया। इन सबका मकसद था – सोशल मीडिया पर वायरल होकर इलाके में दबदबा बनाना। लेकिन इनकी किस्मत इतनी खराब रही कि वीडियो वायरल तो हुआ, मगर सीधे एसएसपी देहरादून की नजरों में चढ़ गया।
पुलिस की ताबड़तोड़ कार्रवाई
एसएसपी के आदेश पर रायवाला पुलिस ने मुखबिर तंत्र सक्रिय किया और तीनों को दबोच लिया। गिरफ्तारी के वक्त भूपेंद्र और दीपांशु के कब्जे से वही दो तमंचे बरामद हुए, जिनसे यह ‘रील गेम’ खेला गया था। अब इन तीनों के खिलाफ रायवाला कोतवाली में आर्म्स एक्ट के तहत दो अलग-अलग मुकदमे दर्ज किए गए हैं।
आजकल के कुछ ‘नौजवान’ रील्स के लिए अपनी और समाज की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं। तमंचे से फायरिंग करने वाले ये तथाकथित हीरो अब जेल की हवा खाएंगे। सवाल यह है कि क्या हमारी युवा पीढ़ी इसी तरह सोशल मीडिया की सस्ती चमक में अपराध के रास्ते पर उतर जाएगी? या फिर यह गिरफ्तारी बाकी ‘रील गैंगस्टरों’ के लिए सबक बनेगी?
नतीजा साफ है – रील बनाओ, लेकिन कानून मत तोड़ो। वरना वायरल चाहत सीधा सलाखों के पीछे पहुंचा देगी।







