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उत्तराखण्ड

रामनगर: पुछड़ी गांव में बेदखली पर विरोध तेज, संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले सैकड़ों ग्रामीणों का प्रदर्शन, प्रशासन से पुनर्विचार की मांग

रामनगर: पुछड़ी गांव में बेदखली पर विरोध तेज, संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले सैकड़ों ग्रामीणों का प्रदर्शन, प्रशासन से पुनर्विचार की मांग

रामनगर में पुछड़ी गांव की बेदखली कार्रवाई को लेकर शनिवार को संयुक्त संघर्ष समिति के नेतृत्व में सैकड़ों ग्रामीणों ने तहसील परिसर तक जुलूस निकालकर विरोध प्रदर्शन किया। ग्रामीणों ने उपजिलाधिकारी के माध्यम से कुमाऊं कमिश्नर को ज्ञापन सौंपकर बेदखली पर रोक, पुनर्वास, जांच और वनाधिकार कानून के पालन सहित कई मांगें उठाईं।

✦ ग्रामीणों की मुख्य मांगें

ज्ञापन में समिति ने प्रदेशभर में चल रही बेदखली व “दमनात्मक कार्रवाई” पर तत्काल रोक लगाने, 7 दिसंबर को बेदखल परिवारों के पुनर्वास की व्यवस्था करने, महिलाओं व ग्रामीणों के साथ कथित मारपीट और अवैध हिरासत की न्यायिक/उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की।
इसके साथ ही उच्च न्यायालय के स्टे आदेशों के उल्लंघन के आरोप में संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई करने और वनाधिकार कानून का पालन कर सभी वन ग्रामों, गोट-खत्तों को राजस्व ग्राम घोषित करने की मांग भी उठाई गई।

✦ ग्रामीणों का आरोप – “स्टे के बावजूद कार्रवाई”

सभा में वक्ताओं ने कहा कि पूछड़ी में पिछले वर्ष ग्राम स्तरीय वन अधिकार समिति का गठन हो चुका है और जब तक अधिकार निर्धारण की प्रक्रिया पूरी नहीं होती, कानूनन किसी भी परिवार को बेदखल नहीं किया जा सकता।
ग्रामीणों का कहना है कि 7 दिसंबर की सुबह 5 बजे से प्रशासन और वन विभाग ने संयुक्त रूप से बेदखली शुरू की, जिसमें कुछ ऐसे घरों पर भी बुल्डोजर चलाया गया जिन्हें हाईकोर्ट से स्टे मिला हुआ था या जिन्हें केवल नोटिस दिया गया था।

ग्रामीणों ने समिति की अध्यक्ष धना तिवारी व सदस्य सीमा तिवारी के साथ मारपीट कर हिरासत में लेने और दर्जनों लोगों को पूरे दिन “अवैध हिरासत” में रखने का भी आरोप लगाया। उनका आरोप है कि कृषि भूमि उजाड़कर उस पर नगरपालिका द्वारा कूड़ा फेंका जा रहा है, जिससे पर्यावरण को नुकसान हो रहा है।

✦ वन विभाग के दावों पर सवाल

वक्ताओं ने कहा कि विवादित भूमि को 1966 में “आरक्षित वन” घोषित करने को लेकर कानूनी स्थिति स्पष्ट नहीं है। ग्रामीणों ने दावा किया कि वन विभाग काशीपुर की अदालत में 1990 में मामला हार चुका है और सूचना आयोग में भी विभाग ने स्वीकार किया है कि संबंधित दस्तावेज उसके पास उपलब्ध नहीं हैं।

✦ प्रशासन का पक्ष

प्रशासन ने पहले ही बयान दिया है कि कार्रवाई नियमों के अनुरूप और अदालत के निर्देशों के आधार पर की जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि संवेदनशील मामलों में कानून-व्यवस्था बनाए रखना उनकी प्राथमिकता है और अवैध कब्जों को हटाने का अभियान प्रदेशभर में निर्धारित मानकों के अनुसार चल रहा है।
हालांकि ग्रामीणों द्वारा लगाए गए आरोपों पर अभी तक उच्च स्तर पर कोई आधिकारिक जांच की घोषणा नहीं हुई है।

✦ अगला कदम: 9 दिसंबर को रणनीति बैठक

बड़े पैमाने पर पूछड़ी सहित रामनगर क्षेत्र के ग्रामीण इस प्रदर्शन में शामिल हुए। संघर्ष समिति ने आगे की रणनीति तय करने के लिए 9 दिसंबर को पूछड़ी एकता चौक में बैठक बुलाई है।

सभा का संचालन सरस्वती जोशी ने किया। कार्यक्रम में पीपी आर्य, कैलाश पांडे, ललित उप्रेती, ललिता रावत, प्रभात ध्यानी, खीम राम, रेनु सैनी, नेहा, सोनम शेख, लालमणी, तुलसी छिंबाल, दीपक तिवारी, सीमा तिवारी, मौ. अकरम, रमेश आर्य, महेश जोशी और जगमोहन रावत सहित कई लोगों ने संबोधित किया।

यह मामला प्रशासनिक प्रक्रिया, कानूनी व्याख्या और ग्रामीणों के अधिकारों—तीनों के बीच खड़े एक जटिल विवाद का रूप लेता जा रहा है। आगामी दिनों में इसकी दिशा बैठक और संभावित प्रशासनिक प्रतिक्रिया से तय होगी।

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