उत्तराखण्ड
यूसीसी के खिलाफ रामनगर में जनसम्मेलन, प्रस्तावित कानून को बताया महिला और जनविरोधी
रामनगर। उत्तराखंड में भाजपा सरकार द्वारा प्रस्तावित समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के खिलाफ शनिवार को रामनगर में एक जन सम्मेलन आयोजित किया गया। सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने इसे विचारों की विविधता को नष्ट करने की साजिश और महिलाओं व अल्पसंख्यकों के खिलाफ बताया।
सम्मेलन में उठा यूसीसी का विरोध
पायते वाली रामलीला के मंच पर समाजवादी लोक मंच के मुनीष कुमार के संचालन में आयोजित इस कार्यक्रम में वृंदा ग्रोवर ने कहा कि यूसीसी केवल सरकार द्वारा लोगों की सघन निगरानी के लिए एक औजार है। उन्होंने कहा, “महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर भाजपा सरकार निजी जानकारियां जुटाकर इन्हें उत्पीड़न के हथियार के रूप में इस्तेमाल करेगी। यह कानून लोगों की निजता और स्वतंत्रता के खिलाफ है।”
महिलाओं और अल्पसंख्यकों के खिलाफ बताया कानून
वृंदा ग्रोवर ने कहा कि यूसीसी के जरिए भाजपा सरकार महिलाओं को सुरक्षा देने के बजाय उनके अधिकारों को कमजोर कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने उत्तराखंड में महिला शेल्टर होम्स बंद कर दिए हैं और घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं की मदद के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए।
उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार का असली कर्तव्य यह होना चाहिए कि वह सभी नागरिकों को शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सम्मानजनक जीवन सुनिश्चित करे। यूसीसी के नाम पर जनता के बुनियादी मुद्दों से ध्यान भटकाया जा रहा है।
जन सम्मेलन में प्रस्ताव पास
सम्मेलन में भाजपा सरकार द्वारा थोपे जा रहे यूसीसी को रद्द करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया। वक्ताओं ने इसे महिला विरोधी और जनविरोधी करार देते हुए कहा कि यह कानून समाज में भ्रष्टाचार और भेदभाव को बढ़ावा देगा। सम्मेलन में निर्णय लिया गया कि इस कानून को सड़कों से लेकर न्यायालय तक चुनौती दी जाएगी।
महिला मजदूरों के संघर्ष का समर्थन
सम्मेलन में डॉल्फिन कंपनी की 27 दिनों से आमरण अनशन पर बैठी महिला मजदूरों के संघर्ष को भी समर्थन दिया गया।
सामाजिक संगठनों की भागीदारी
कार्यक्रम में उत्तराखंड महिला मंच की निर्मला बिष्ट, चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल, भाकियू एकता उग्राहां के अध्यक्ष बल्ली सिंह चीमा, महिला किसान अधिकार मंच की हीरा जंगपांगी, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के प्रभात ध्यानी समेत कई सामाजिक संगठनों और प्रदेशभर से आए लोगों ने भागीदारी की।
जन सम्मेलन ने यूसीसी को वापस लेने की मांग करते हुए इसे जनता और समाज के हितों के खिलाफ बताया। आयोजकों ने इसे सरकार की जनविरोधी नीतियों का हिस्सा करार दिया और भविष्य में इसके खिलाफ व्यापक आंदोलन का ऐलान किया।