उत्तराखण्ड
रामनगर निकाय चुनाव: दो दिग्गजों की साख पर संकट, टिकट कटने के बाद क्या होगी अगली चाल?
रामनगर नगर पालिका के चुनावी मैदान में इस बार राजनीतिक सरगर्मियां तेज हैं। दो प्रमुख दावेदार, जिनका राजनीतिक करियर इस चुनाव में दांव पर है, अपनी पार्टियों से टिकट मिलने की उम्मीद में थे, लेकिन हालात कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं।
भगीरथ लाल चौधरी: भाजपा की अनदेखी
पूर्व पालिका अध्यक्ष भगीरथ लाल चौधरी, जो पिछले चुनाव कानूनी अड़चनों के चलते मैदान से बाहर रहे थे, इस बार भाजपा के टिकट के प्रबल दावेदार माने जा रहे थे। लेकिन पार्टी ने उनकी जगह मदन जोशी को प्रत्याशी बनाकर चौधरी की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। यह फैसला चौधरी समर्थकों के बीच मायूसी का कारण बन गया है।
मोहम्मद अकरम: कांग्रेस की दुविधा
निवर्तमान पालिका अध्यक्ष मोहम्मद अकरम को लेकर भी अनिश्चितता बनी हुई है। कांग्रेस पार्टी ने अब तक यह साफ नहीं किया है कि अकरम को टिकट मिलेगा या नहीं। सूत्रों के मुताबिक, पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत इस बार भुवन पांडे को कांग्रेस का प्रत्याशी बनाने की तैयारी में हैं। निकाय परिसीमन के बाद कांग्रेस मोहम्मद अकरम पर भरोसा करने से हिचकिचा रही है।
क्या निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे दोनों नेता?
पार्टियों से टिकट कटने के बाद अब शहर के राजनीतिक गलियारों में यह सवाल गर्म है कि दोनों दिग्गजों का अगला कदम क्या होगा। क्या वे निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ेंगे? या फिर किसी अन्य रणनीति के तहत अपनी साख बचाने का प्रयास करेंगे? दोनों ने फिलहाल नामांकन पत्र खरीदकर अपने इरादे साफ कर दिए हैं।
राजनीतिक समीकरण और भविष्य की चुनौतियां
इस बार के निकाय चुनाव न केवल रामनगर की राजनीतिक तस्वीर बदल सकते हैं, बल्कि भगीरथ लाल चौधरी और मोहम्मद अकरम जैसे नेताओं के राजनीतिक भविष्य पर भी गहरा असर डाल सकते हैं। टिकट न मिलने की स्थिति में दोनों नेताओं की अगली चाल पर पूरे शहर की निगाहें टिकी हुई हैं।
रामनगर के इस रोचक राजनीतिक संघर्ष में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन अपनी रणनीति से बाजी मारता है और किसका करियर अधर में लटक जाता है।