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उत्तराखण्ड

रामनगर निकाय चुनाव: भाजपा के ‘कमल’ पर ‘कैंची’ का हमला, अंदरूनी कलह बनी चर्चा का विषय

रामनगर(नैनीताल) नगर पालिका चुनाव में भाजपा प्रत्याशी मदन जोशी अपनी जीत पक्की करने के लिए हर संभव जुगत भिड़ा रहे हैं, लेकिन उनकी अपनी ही पार्टी के भीतर “कैंची” की खटपट कमल को कमजोर करने पर तुली हुई है। यह कोई आम कैंची नहीं है, बल्कि अदृश्य कैंची है, जो भाजपा प्रत्याशी के वोट काटने में लगी हुई है।

जनसंपर्क अभियान में मदन जोशी जब लोगों से अपने चुनाव चिन्ह ‘कमल’ पर मोहर लगाने की अपील कर रहे हैं, तो उनके पीछे-पीछे चल रहे कुछ भाजपाई “कैंची” के प्रतीक के साथ उनकी उम्मीदों पर “कतरनी” चला रहे हैं। बताया जा रहा है कि यह “कैंची” असंतुष्ट भाजपाइयों के हाथ में है, जो पार्टी के भीतर की गहरी नाराजगी और अंदरूनी कलह की ओर इशारा करती है।

‘कैंची’ के पीछे की कहानी
रामनगर में भाजपा की आंतरिक राजनीति में ‘कैंची’ एक प्रतीक बनकर उभरी है। पार्टी के कुछ असंतुष्ट नेता और कार्यकर्ता विधायक दीवान सिंह बिष्ट और भाजपा प्रत्याशी मदन जोशी से नाराज हैं। ऐसे में निकाय चुनाव में ‘कैंची’ का प्रयोग केवल वोट काटने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह 2027 के विधानसभा चुनाव में भी चलने की पूरी तैयारी में है।

क्या है ‘कैंची’ का मकसद?
दरअसल, भाजपा के भीतर गुटबाजी और असंतोष ने कमल को कमजोर कर दिया है। असंतुष्ट नेता खुलकर तो बगावत नहीं कर रहे हैं, लेकिन “कैंची” के जरिए धीरे-धीरे वोट काटने का प्रयास कर रहे हैं। यह कैंची कपड़े काटने के बजाय भाजपा प्रत्याशी के वोटों की फसल काटने में लगी हुई है।

भाजपा की अंदरूनी कलह पर विपक्ष की नजर

विपक्षी दल इस अंदरूनी कलह का भरपूर फायदा उठाने की कोशिश में हैं। कांग्रेस और निर्दलीय प्रत्याशी इस बात को भुनाने में जुट गए हैं कि भाजपा की गुटबाजी जनता के सामने आ गई है।

2027 विधानसभा चुनाव की भूमिका?

जानकारों का कहना है कि यह “कैंची” निकाय चुनाव तक ही सीमित नहीं रहेगी। यह पार्टी के भीतर असंतोष और गुटबाजी की गहराई को उजागर करती है, जो आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए बड़ा सिरदर्द बन सकती है।

कौन जीतेगा यह ‘कमल बनाम कैंची’ की जंग?

रामनगर का यह चुनाव भाजपा के लिए सिर्फ एक नगर पालिका का चुनाव नहीं है, बल्कि पार्टी के अंदर की टूट को जोड़ने की परीक्षा भी है। अब देखना यह है कि ‘कमल’ इन अदृश्य ‘कैंचियों’ से बचकर अपनी जीत दर्ज कर पाता है या नहीं।

रामनगर का निकाय चुनाव भाजपा के लिए सिर्फ एक राजनीतिक चुनौती नहीं है, बल्कि आंतरिक कलह और असंतोष का एक आईना भी है। क्या मदन जोशी इस ‘कैंची’ की धार को भोथरा कर पाएंगे, या फिर ‘कमल’ की पंखुड़ियां बिखर जाएंगी? इसका फैसला जनता करेगी, लेकिन फिलहाल ‘कैंची’ की चर्चा हर गली-मोहल्ले में है।

 

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