उत्तराखण्ड
रामनगर: कांग्रेस दो खेमों में बंटी, नगर पालिका चुनाव में बढ़ी सियासी गहमागहमी
रामनगर नगर पालिका चुनाव में कांग्रेस की अंदरूनी खींचतान खुलकर सामने आ गई है। पार्टी के वरिष्ठ नेता हरीश रावत और रणजीत रावत की आपसी लड़ाई के चलते कांग्रेस ने इस बार नगर निकाय चुनाव में किसी को पार्टी का सिंबल नहीं दिया है।
उम्मीदवारों की दावेदारी
नगर पालिका अध्यक्ष पद के लिए कांग्रेस से टिकट मांगने वाले निवर्तमान पालिका अध्यक्ष मोहम्मद अकरम, निशांत पपनै, ताइफ खान, जफ़र सैफी, फैजुल हक़ और मोहम्मद कय्यूम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आपसी सहमति से किसी एक को उम्मीदवार बनाकर चुनाव लड़ने की घोषणा की है। सूत्रों के मुताबिक, सभी दावेदारों के बीच सहमति बनाकर मोहम्मद अकरम को प्रत्याशी घोषित किया जा सकता है, क्योंकि उन्होंने कल ही अपना नामांकन पर्चा दाखिल कर दिया है।
रणजीत रावत का पांसा
दूसरी तरफ, पूर्व विधायक रणजीत रावत ने भुवन पांडे को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से अपील की है कि वे एकजुट होकर भुवन पांडे के पक्ष में प्रचार करें। रणजीत रावत ने अपनी सफाई में कहा कि कुछ लोग उनके खिलाफ झूठे आरोप लगा रहे हैं, लेकिन वे ऐसे लोगों को जवाब देना जरूरी नहीं समझते।
भाजपा पर हमला
पूर्व विधायक रणजीत रावत ने भाजपा सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि सरकार नगर पालिका क्षेत्र में गरीबों के घरों पर बुलडोजर चलवा रही है। उन्होंने कहा कि उनकी लड़ाई कांग्रेस के लिए नहीं, बल्कि गरीबों के घरों को बचाने के लिए है।
कांग्रेस के लिए मुश्किलें बढ़ीं
रामनगर नगर पालिका चुनाव में कांग्रेस की अंदरूनी खींचतान ने पार्टी के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं। जहां एक तरफ पार्टी में एकजुटता की कमी दिख रही है, वहीं दूसरी ओर भाजपा इस स्थिति का फायदा उठाने की पूरी कोशिश कर सकती है।
रामनगर के सियासी माहौल में यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस के दोनों खेमे अंततः किस रणनीति के साथ मैदान में उतरते हैं और इसका परिणाम चुनाव पर कैसा असर डालता है।