उत्तराखण्ड
रामनगर: दशकों से वादों में उलझे ग्रामीणों का फूटा गुस्सा—कॉर्बेट नेशनल पार्क के धनगढ़ी गेट पर धरने पर बैठे लोग, बोले “अब बहलावा नहीं… हक़ चाहिए!”
रामनगर: दशकों से वादों में उलझे ग्रामीणों का फूटा गुस्सा—कॉर्बेट नेशनल पार्क के धनगढ़ी गेट पर धरने पर बैठे लोग, बोले “अब बहलावा नहीं… हक़ चाहिए!”
रामनगर। कॉर्बेट नेशनल पार्क के धनगढ़ी गेट के पास स्थित देवी चौड़—सुंदर खाल के ग्रामीणों का सब्र आखिरकार टूट गया। सालों से चुनावी भाषणों में मिलने वाले “राजस्व गांव” के सपने और बिजली–पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं के खोखले वादों ने ग्रामीणों को आज खुलकर सड़क पर उतरने पर मजबूर कर दिया।
ग्रामीण सुबह से ही धरने पर बैठ गए और सरकारों की वादाखिलाफी पर कड़ा विरोध दर्ज कराया। उनका आरोप है कि हर चुनाव में सत्ताधारी दल उनका वोट तो ले लेता है, लेकिन सरकार बनने के बाद उनके गांव की समस्याएं नेताओं की याददाश्त से गायब हो जाती हैं।
धरने पर बैठे लोगों ने साफ कहा कि—
👉 उनके गांव को तुरंत राजस्व गांव का दर्जा दिया जाए।
👉 बिजली, पानी और सड़क जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं।
गुस्साए ग्रामीणों ने जोरदार नारेबाजी भी की। विरोध के दौरान उनका एक नारा खास तौर पर गूंजता रहा—
“जो सरकार निकम्मी है… वह सरकार बदलनी है!”
स्थानीय लोगों का कहना है कि वे विकास के नाम पर अब सिर्फ आश्वासन नहीं, कार्रवाई चाहते हैं। गांव की दशकों पुरानी समस्याओं के समाधान की मांग को लेकर वे एकजुट होकर आंदोलन जारी रखने की चेतावनी भी दे चुके हैं।
सरकारें कब तक इनके धैर्य की परीक्षा लेंगी?
क्या इस बार ग्रामीणों की आवाज़ सत्ता के गलियारों तक पहुंचेगी?
फिलहाल, धनगढ़ी गेट के पास बैठा यह धरना—सरकारी वादों और असलियतन से पैदा हुए गहरे अंतर की एक कड़वी तस्वीर पेश कर रहा है।








