उत्तराखण्ड
रामनगर:पुलिस और बुलडोजर का डर नहीं, ग्रामीण करेंगे प्रदर्शन
रामनगर(नैनीताल) संयुक्त संघर्ष समिति ने ग्राम पूछड़ी में एक आक्रोशित बैठक कर फैसला लिया कि 14 अक्टूबर को रामनगर एसडीएम कार्यालय पर जोरदार धरना-प्रदर्शन किया जाएगा। ग्रामीण अब खुलकर सरकार की नीतियों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं, और प्रशासन को साफ-साफ चेतावनी दे दी है कि उनके घरों पर बुलडोजर चलाने की कोशिश सरकार को भारी पड़ेगी।
सरकार पर लगाए दोहरे मापदंड के आरोप
बैठक में ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और उत्तराखंड सरकार पर सीधा हमला बोला। उनका कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत देश के हर नागरिक को कानून के सामने बराबरी का हक है, फिर भी सरकार बिंदुखत्ता को राजस्व ग्राम घोषित कर सकती है, लेकिन पूछड़ी, कालू सिद्ध और अन्य वन ग्रामों को नजरअंदाज कर रही है। ग्रामीणों ने साफ कहा कि जब बिंदुखत्ता को राजस्व ग्राम का दर्जा मिल सकता है, तो उनके गांवों को क्यों नहीं?
बुलडोजर और पुलिस का डर नहीं
बैठक में ग्रामीणों का गुस्सा इस बात पर भी था कि वन प्रशासन उन्हें धमकाने और डराने के लिए बुलडोजर और पुलिस का इस्तेमाल कर रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि वे इस देश के नागरिक हैं, और उन्हें इस तरह डराया-धमकाया नहीं जा सकता। उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उनके घरों को गिराने की कोशिश की गई, तो वे बुलडोजर के आगे लेटकर अपनी जान दे देंगे, लेकिन अपने घर नहीं टूटने देंगे। यह साफ संकेत है कि ग्रामीण किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।
प्रदर्शन में उठेंगी ये मांगें
14 अक्टूबर को ग्रामीणों का एक बड़ा समूह रामनगर एसडीएम कार्यालय पहुंचेगा और सरकार से निम्नलिखित मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपेगा:
1. वन अधिनियम 1927 और उत्तरांचल संशोधन 2001 को तत्काल रद्द किया जाए।
2. वनाधिकार कानून के तहत दाखिल किए गए सभी दावों को तुरंत मान्यता दी जाए।
3. उत्तराखंड में जो व्यक्ति जहां पर रह रहा है, उसे वहीं पर नियमित कर मालिकाना हक दिया जाए।
यह प्रदर्शन न केवल स्थानीय प्रशासन के खिलाफ होगा, बल्कि उत्तराखंड सरकार के तानाशाही रवैये के खिलाफ भी बड़ा आंदोलन बनेगा। ग्रामीणों का कहना है कि अब सरकार के बहानों और वादों से उनका भरोसा उठ चुका है और अगर उनकी मांगे नहीं मानी गईं, तो आंदोलन और उग्र रूप ले सकता है।
बड़ी भागीदारी, बड़ा गुस्सा
इस बैठक में बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे, जिनमें सीमा तिवारी, दुर्गा देवी, तुलसी आर्य, साहिस्ता, सरस्वती जोशी, तुलसी छिंबाल, रवि सिंह, जुबेर, गणेश, प्रभात ध्यानी और मुनीष कुमार समेत कई लोग शामिल थे। यह स्पष्ट है कि यह लड़ाई अब एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि पूरे गांव की हो चुकी है, और सरकार को इस उबालते गुस्से को नजरअंदाज करने की भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
14 अक्टूबर को रामनगर एसडीएम कार्यालय पर होने वाला यह प्रदर्शन सिर्फ एक चेतावनी है, अगर सरकार अब भी नहीं चेती तो ग्रामीण किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।