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उत्तराखण्ड

उत्तराखंड: IFS अधिकारी राहुल का इस्तीफा—IFS अधिकारियों की अंदरूनी राजनीति का पर्दाफाश

देहरादून (एटम बम ब्यूरो) राजाजी नेशनल पार्क के निदेशक पद से IFS अधिकारी राहुल का इस्तीफा एक सामान्य घटना नहीं, बल्कि प्रदेश में चल रही IFS अधिकारियों की गहरी सियासी साजिशों का एक और अध्याय है। वर्तमान समय में शासन में बैठे कुछ IFS अधिकारी सत्ता के नजदीक रहकर अपनी मनमानी चला रहे हैं, और राहुल को निशाना बनाना उनके इसी खेल का हिस्सा था।

राहुल के खिलाफ यह साजिश तब शुरू हुई जब वे कॉर्बेट नेशनल पार्क के निदेशक थे। तत्कालीन वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के प्रिय और कालागढ़ के तत्कालीन SDO किशन चंद्र ने बिना अनुमति के पेड़ कटवाए और निर्माण कार्य करवाया। इस दौरान कालागढ़ क्षेत्र में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ, लेकिन राहुल की शिकायतों पर शासन में बैठे उच्च अधिकारी खामोश रहे। वजह साफ थी—यह सब कुछ हरक सिंह रावत की सहमति से हो रहा था। अधिकारी रावत के करीबी SDO के खिलाफ एक्शन लेने की हिम्मत नहीं जुटा सके।

जब हरक सिंह रावत भाजपा छोड़ कांग्रेस में चले गए, तो मामला तूल पकड़ने लगा। वही अधिकारी, जो पहले चुप थे, अब अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए राहुल पर ठीकरा फोड़ने लगे। उन्होंने राहुल को भी SDO किशन चंद्र के साथ लपेटते हुए जांच के घेरे में लाने की कोशिश की। नतीजतन, राहुल को कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक पद से हटाकर लंबे समय तक कोई महत्वपूर्ण चार्ज नहीं दिया गया।

पिछले तीन सप्ताह पहले ही राहुल को राजाजी नेशनल पार्क का निदेशक नियुक्त किया गया था। लेकिन वही गुट, जो पहले उनके खिलाफ था, अब फिर से सक्रिय हो गया। उनके खिलाफ मीडिया में खबरें चलवाई गईं ताकि उनकी नियुक्ति रोकी जा सके। हालांकि वे इसमें सफल नहीं हो पाए, लेकिन 21 दिन बाद उन्हें पद से हटाने में कामयाब हो गए। अब माना जा रहा है कि सरकार की छवि बचाने के लिए राहुल से इस्तीफा लिया गया है।

यदि हरक सिंह रावत भाजपा में ही रहते और कांग्रेस का हाथ न पकड़ते, तो शायद यह सब कुछ न होता। मगर सत्ता के इस खेल में, IFS अधिकारी राहुल को बलि का बकरा बनाकर उनके करियर पर ग्रहण लगाने की कोशिश की गई है।

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