उत्तराखण्ड
हनीट्रैप मामले में 7 साल से फरार शातिर शमशेर सिंह गिरफ्तार, राज्यमंत्री रह चुके मसूद मदनी को किया था फंसाने की साजिश
उत्तराखंड की राजनीति में एक दशक पूर्व राज्यमंत्री रह चुके मौलाना मसूद मदनी को हनीट्रैप में फंसाने वाले 15 हज़ार के इनामी शमशेर सिंह को आखिरकार 7 साल बाद पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। सहारनपुर के देवबंद में की गई इस गिरफ्तारी ने एक बार फिर उस षड्यंत्र का पर्दाफाश कर दिया है, जिसने उत्तराखंड सरकार को शर्मसार कर दिया था। हरियाणा का यह कुख्यात अपराधी शमशेर सिंह, जो जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी के भाई और उत्तराखंड के पूर्व राज्यमंत्री मौलाना मसूद मदनी को हनीट्रैप के जाल में फंसाने का मास्टरमाइंड था, आखिरकार सलाखों के पीछे है।
क्या था मामला?
वर्ष 2017 में देवबंद की कोतवाली में एक युवती ने मौलाना मसूद मदनी पर दुष्कर्म का गंभीर आरोप लगाया था, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। लेकिन सच्चाई इससे कहीं ज्यादा चौंकाने वाली निकली। पुलिस जांच में यह खुलासा हुआ कि पूरा मामला हनीट्रैप का था, जिसे हरियाणा के जींद जिले से संचालित किया जा रहा था। गिरोह अमीर और रसूखदार लोगों को अपने जाल में फंसाने का काम करता था, जिसमें शमशेर सिंह की अहम भूमिका थी।
शमशेर सिंह और उसका गिरोह अमीर व्यक्तियों को निशाना बनाता था। पहले इन लोगों के नंबर हासिल कर, फिर किसी लड़की के ज़रिए फोन पर बातचीत करवाई जाती थी। इसके बाद मुलाकात तय की जाती, और फिर ब्लैकमेलिंग का खेल शुरू हो जाता। इसी चाल में मौलाना मसूद मदनी भी फंस गए थे।
7 साल बाद आखिरकार हुआ खुलासा
शमशेर सिंह पिछले 7 साल से पुलिस की पकड़ से दूर था, लेकिन उसकी गिरफ्तारी ने इस हनीट्रैप गैंग के खौफनाक कामकाज का खुलासा कर दिया है। ऐसे गिरोह न केवल समाज के प्रभावशाली लोगों को फंसाते हैं, बल्कि उनके जीवन और करियर को भी बर्बाद कर देते हैं।
सवाल यह उठता है कि जब इतने बड़े षड्यंत्र का पर्दाफाश हो चुका है, तो क्या ऐसे मामलों में फंसाए गए लोगों को न्याय मिलेगा? या फिर राजनीतिक रंजिश और ब्लैकमेलिंग का यह खेल यूं ही चलता रहेगा?
क्या उत्तराखंड सरकार और पुलिस इस मामले में पूरी तरह से निष्पक्ष रह पाई है, या फिर कहीं न कहीं यह पूरा प्रकरण सत्ता और पैसे की ताकत से जुड़ा हुआ था?