उत्तराखण्ड
उत्तराखंड में सख्त भू-क़ानून लागू: 11 जिलों में बाहरी लोगों के लिए ज़मीन ख़रीदने पर रोक
उत्तराखंड में सख्त भू-क़ानून लागू: 11 जिलों में बाहरी लोगों की ज़मीन ख़रीदने पर रोक
उत्तराखंड सरकार ने राज्य में भू-संरक्षण को लेकर एक बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने हिमाचल प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री वाईएस परमार के नक्शे कदम पर चलते हुए सख़्त भू-क़ानून लागू कर दिया है। अब उत्तराखंड के हरिद्वार और उधमसिंह नगर को छोड़कर शेष 11 जिलों में बाहरी लोगों के लिए कृषि और बागवानी की ज़मीन खरीदने पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है।
क्या है नया भू-क़ानून?
सरकार के इस नए क़ानून के तहत:
अन्य राज्यों के लोग उत्तराखंड के 11 जिलों में कृषि या बागवानी के लिए भूमि नहीं खरीद सकेंगे।
हालांकि, अन्य प्रयोजनों के लिए ज़मीन ख़रीदने की अनुमति सरकार से लेनी होगी।
घर बनाने के लिए कोई भी व्यक्ति अपने परिवार के लिए जीवन में सिर्फ़ एक बार 250 वर्ग मीटर (लगभग 2.7 कट्ठा) तक ज़मीन खरीद सकेगा।
ज़मीन ख़रीदते समय सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में एक शपथ पत्र देना होगा, जिसमें यह घोषणा करनी होगी कि उसने इस सीमा का उल्लंघन नहीं किया है।
क्यों ज़रूरी था सख़्त भू-क़ानून?
उत्तराखंड में पिछले कुछ वर्षों से बाहरी लोगों द्वारा बड़े पैमाने पर ज़मीन ख़रीदने के मामले बढ़ रहे थे। ख़ासकर पहाड़ी ज़िलों में भूमाफ़ियाओं की सक्रियता, पर्यावरणीय असंतुलन और स्थानीय लोगों के विस्थापन की समस्याएं सामने आई थीं। स्थानीय लोग लंबे समय से मांग कर रहे थे कि उत्तराखंड में हिमाचल की तर्ज़ पर सख़्त भू-क़ानून लागू किया जाए, ताकि बाहरी लोगों द्वारा अंधाधुंध ज़मीन ख़रीदने की प्रवृत्ति पर रोक लगे।
हिमाचल की राह पर उत्तराखंड
हिमाचल प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री वाईएस परमार ने अपने कार्यकाल में ऐसा ही सख़्त भू-क़ानून लागू किया था, जिसके तहत बाहरी राज्यों के लोग हिमाचल में खेती की ज़मीन नहीं खरीद सकते थे। अब उत्तराखंड भी उसी नीति पर आगे बढ़ा है। यह फैसला राज्य की संस्कृति, पर्यावरण और मूल निवासियों के हितों को सुरक्षित रखने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा हैं.उत्तराखंड में लंबे समय से यह मांग उठती रही है कि बाहरी लोगों द्वारा ज़मीन खरीदने की प्रक्रिया को नियंत्रित किया जाए। विपक्षी दलों ने भी इस फैसले का समर्थन किया है, लेकिन कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को आर्थिक विकास और निवेश पर भी ध्यान देना होगा, ताकि व्यापारिक गतिविधियों को बाधित न किया जाए।
क्या होंगे इस फैसले के असर?
बाहरी लोगों द्वारा अंधाधुंध ज़मीन ख़रीदने पर रोक लगेगी।
स्थानीय लोगों की ज़मीन बचाई जा सकेगी और पहाड़ों में पलायन की समस्या पर लगाम लगेगी।
पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा।
रियल एस्टेट सेक्टर में अनियंत्रित विकास पर नियंत्रण रहेगा।
क्या हैं चुनौतियां?
हालांकि, इस कानून को सख्ती से लागू करना सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण होगा। ज़मीन की खरीद-फरोख्त में भ्रष्टाचार और बेनामी ट्रांजेक्शन्स की संभावना बनी रहेगी। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि बाहरी लोग फर्जी दस्तावेज़ों के ज़रिए नियमों की अनदेखी न कर पाएं।
सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि उत्तराखंड में सख़्त भू-क़ानून लागू होना राज्य के लिए एक बड़ा कदम है, जो स्थानीय हितों की रक्षा और भू-माफियाओं पर रोक लगाने के लिए ज़रूरी था। सरकार ने हिमाचल के मॉडल को अपनाते हुए यह संदेश दिया है कि उत्तराखंड की ज़मीन पर सिर्फ़ स्थानीय लोगों का हक़ पहले होगा। अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में यह क़ानून कितना प्रभावी साबित होता है।
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