उत्तराखण्ड
नगर निगम की शिकायत लेकर शहरी विकास मंत्री से मिले व्यापारी, निगम पर लगाया उत्पीड़न करने का आरोप।
देहरादून। आज दून वैली महानगर उद्योग व्यापार मंडल के अध्यक्ष पंकज मेसोंन के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रेम चंद अग्रवाल शहरी विकास मंत्री उत्तराखंड सरकार से विधानसभा कार्यालय में मुलाकात की और उन्हे ज्ञापन सौपते हुये अपनी माँग रखी। ज्ञापन मे कहा गया की नगर निगम द्वारा बढ़ाए गए वर्ष 2016-2017 से ससंपत्ति कर / भवन कर एवम उसके ऊपर ब्याज लगाने से व्यापारियों का उत्पीड़न हो रहा हैं।
इस अवसर पर दून वैली महानगर उद्योग व्यापार मंडल के अध्यक्ष पंकज मेसोंन ने कहा की नगर निगम द्वारा जिस प्रकार से संपत्ति कर / भवन कर के नाम पर व्यापारियों एवं आमजन का उत्पीड़न किया जा रहा हैं वह उचित नही हैं। दून वैली महानगर उधोग व्यापार मंडल इस ज्ञापन के माध्यम से मांग करता हैं की जो स्वत: कर निर्धारण निति वर्ष 2016-2017 में लागू की गई थी, उसे निरस्त किया जाए और नई कर प्रणाली से कम से कम कर ही दुकानदारों पर लगाया जाए, ताकि वह उसे अदा कर सके। सर्व विदित हैं कि 2 से 3 वर्ष पहले कोरोना जैसी महामारी के कारण दुकानों पर उतना व्यापार नहीं हुआ और लॉकडाउन की वजह से 6 महीने प्रतिवर्ष दुकानें बंद रही और अनेको व्यापारियों की मृत्यु भी इस महामारी के चलते हुईं। जिससे व्यापारी वर्ग अभी तक नही उभर पाया हैं। पिछले 7 वर्षो का संपत्ति कर/ भवन कर दुकानदारो एवं आम जन पर वर्ष 2016-2017 से बढ़ा कर लगाया जा रहा हैं और उस पर 12प्रतिशत का ब्याज प्रतिवर्ष के दर से लगाया जा रहा हैं, जोकि बिलकुल अनुचित हैं। इस लिये ब्याज पूर्ण रूप से समाप्त किया जाए और जो संपत्ति कर / भवन कर में जो बढ़ोतरी वर्ष 2016-2017 से की जा रही हैं उसे भी कम किया जाए। इसके पश्चात जो कर बनता हैं उसमे से कोरोना काल के 2 से 3 साल के कर को माफ किया जाए और बाकी बचे कर को व्यापारियों के लिए 1 वर्ष की आसान किश्तो में जमा कराने की सुविधा दी जाए। जिस प्रकार से प्राइवेट कंपनियों के कर्मचारियों द्वारा दुकानों का सर्वे किया जा रहा हैं, उससे भी व्यापारियों के मन में कही न कही डर व्याप्त हैं, कि यह कर्मचारी दुकानों में आकर पूरी दुकानों के अंदर की विडियो फुटेज मापने के साथ-साथ पूरी दुकान खंगाल जाते हैं। जिससे व्यापारी के मन मे यह भय हैं कि किसी वक्त कोई अप्रिय घटना व्यापारी के साथ न घटित हो जाए। इसलिए इस सर्वे की कार्यवाही को तुरंत रोका जाए। यदि व्यापारी स्वत: कर निर्धारण के अंतगर्त फार्म भरता हैं, तो उसकी मूल रकम के साथ-साथ ब्याज की रकम जुड़ने के कारण उसकी और मांग की धनराशी लगभग दुगनी से भी ज्यादा हो जाती हैं, इसलिए ब्याज की रकम को पूर्ण रूप से माफ़ किया जाए। दून वैली महानगर उधोग व्यापार मंडल देहरादून द्वारा यह भी कहा गया कि एक व्यापारी द्वारा अपने पूरे जीवन काल में इतने सारे कर अदा किए जाए जाते हैं कि वह इन्हे अदा करते करते ही समाप्ति की ओर बढ़ जाता हैं एक व्यापारी द्वारा सरकार को उनके विभागो जैसे, जी.एस.टी, इनकम टेक्स, व्यवसायिक कर/भवन कर, रोड टैक्स, सिविर टैक्स, वाटर टैक्स, बिजली बिल इसके बावजूद बेरोजगारो को रोजगार देना अपने परिवार का भरण पोषण करने के अलावा और भी सारी जिम्मेदारी निभाता हैं हमारा आपसे कहना हैं कि एक व्यापारी पर इतना बोझ न डाला जाए जिससे कि उसकी कमर ही टूट जाए। क्योंकि व्यापारी भी देश की अर्थवयस्था का चौथा स्तंभ है कृपया उस पर इस प्रकार के कर लगाकर उसे और ज्यादा प्रताड़ित न किया जाए। व्यापारियों एवं आम नागरिको की इस विकट समस्या का निदान किया जाए व्यापारी वर्ग एवं आमजन सदैव आपका आभारी रहेगा। इस अवसर पर संरक्षक सुशील अग्रवाल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष शेखर फुलारा, महामंत्री पंकज दिदान, उपाध्यक्ष राम कपूर मौजूद रहे।